۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
रहबर

हौज़ा / इंक़ेलाब इस्लामी के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 2 अक्तूबर 2024 की सुबह ज्ञान-विज्ञान के मैदानों में सक्रिय, देश के सैकड़ों जीनियस व असाधारण प्रतिभा के धनी स्टूडेंट्स और जवानों से मुलाक़ात की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 2 अक्तूबर 2024 की सुबह ज्ञान-विज्ञान के मैदानों में सक्रिय, देश के सैकड़ों जीनियस व असाधारण प्रतिभा के धनी स्टूडेंट्स और जवानों से मुलाक़ात की।

उन्होंने इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में महान मुजाहिद सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के वाक़ए की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम इन दिनों सोगवार हैं, ख़ासकर मैं बहुत ग़मज़दा हूं, क्योंकि जनाब हसन नसरुल्लाह को खो देना कोई मामूली वाक़या नहीं है लेकिन मुल्क में आम शोक के बावजूद हमने पहले से तयशुदा इस मुलाक़ात को किसी और वक़्त के लिए स्थगित नहीं किया। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने जीनियस और असाधारण सलाहियत के धनी लोगों से तयशुदा वक़्त पर मुलाक़ात की वजह के बारे में कहा कि इस बैठक का पैग़ाम यह है कि अगरचे हम शोकाकुल हैं लेकिन हमारा शोक मातम में पड़ जाने, उदास हो जाने और एक कोने में बैठ जाने के अर्थ में नहीं है, बल्कि हमारा शोक, इमाम हुसैन के शोक की तरह है यानी ज़िंदा करने वाला, आगे बढ़ाने वाला, काम और तरक़्क़ी के सिलसिले में प्रेरित करने वाला है।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र की अस्ल मुश्किल और क्षेत्र में टकराव और जंगें शुरू होने की मुख्य वजह, अमरीका और कुछ योरोपीय देशों की मौजूदगी है जो अमन व शांति के झूठे वादे करते हैं और अगर इस इलाक़े से उनका नापाक वजूद ख़त्म हो जाए तो टकराव और जंगें भी ख़त्म हो जाएंगी और ख़ुद देश क्षेत्र का संचालन करने के क़ाबिल और अमन व शांति के साथ मिल जुलकर रहने वाले हैं। 

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरान पर हमले के लिए सद्दाम को वरग़लाने और उसके बाद की कटु घटनाओं को क्षेत्र में अमरीका और पश्चिमी ताक़तों की भड़काउ गतिविधियों और युद्धोन्माद का एक नमूना बताया।

उन्होंने इस सिलसिले में कहा कि इस वक़्त ईरान और इराक़ के बीच जो मोहब्बत है और जिसका सबसे अच्छा नमूना अरबईन के अज़ीम मार्च में दिखाई देता है, एक साफ़ मिसाल है जो बताती है कि क्षेत्र की सभी मुश्किलों की जड़, अमन के झूठे दावेदार हैं जिनके नापाक वजूद को अल्लाह की तौफ़ीक़ से, ईरानी क़ौम के दृढ़ संकल्प से, इस्लामी इंक़ेलाब की शिक्षाओं से मदद हासिल करके और दूसरी क़ौमों के सहयोग से ख़त्म कर देना चाहिए। 

उन्होंने इस मौक़े पर अपने ख़ेताब के एक दूसरे हिस्से में मुलाक़ात से संबंधित तीन विषयों यानी मुल्क में असाधारण सलाहियत के वजूद, जीनियस लोगों की रक्षा और उनकी तादाद बढ़ाने और असाधारण सलाहियत के धनी लोगों की ज़िम्मेदारियों पर भी रौशनी डाली। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने असाधारण सलाहियत और असाधारण सलाहियत के धनी लोगों को सामने लाने की राहों को मुल्क की सबसे क़ीमती संपत्ति में से एक क़रार दिया और उद्दंडी शाही सरकार के ज़माने में इन चीज़ों पर ध्यान न दिए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि इंक़ेलाब के बाद असाधारण सलाहियत के लोगों की मुख़्तलिफ़ क्षमताओं पर ध्यान दिया गया लेकिन तेल, गैस, परमाणु क्षमता, नैनो और एआई जैसे आधुनिक ज्ञान सहित मुख़्तलिफ़ विभागों में उन्हें शामिल करके इस पर अधिक ध्यान दिया जाए।

उन्होंने मुल्क के जीनियस लोगों की ज़िम्मेदारियों के बारे में कहा कि जीनियस लोगों की ज़िम्मेदारी आम लोगों से ज़्यादा है क्योंकि उन्हें इल्म, इज़्ज़त और संपत्ति जैसी नेमतें और अल्लाह का करम दूसरों की तुलना में ज़्यादा हासिल है। 

उन्होंने दुनिया में साइंस के क्षेत्र में तेज़ी से होने वाले बदलाव की ओर इशारा करते हुए असाधारण प्रतिभा के लोगों का एक नए वैज्ञानिक अभियान के लिए उठ खड़े होने का आह्वान किया और कहा कि मुल्क को नए वैज्ञानिक अभियान की ज़रूरत है और यह जीनियस लोगों की ज़िम्मेदारी है, अलबत्ता इस सिलसिले में साइंटिफ़िक और रीसिर्च सेंटरों की भी ज़िम्मेदारी है, लेकिन अस्ल काम जीनियस लोगों का है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस बात पर बल देते हुए कि नए वैज्ञानिक अभियान से प्रतिद्वंद्वियों पर श्रेष्ठता हासिल होगी, कहा कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में श्रेष्ठता का एक नतीजा यह होगा कि दुश्मन ग़ज़ा और ज़ाहिया के लोगों को नुक़सान नहीं पहुंचा सकेगा और उन भड़काउ हरकतों की रोकथाम होगी जो लोगों और जवानों के दिलों में आग लगा देती हैं।

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