हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!
लेखकः एस एच रज़वी मोहम्मद
आज के दौर में आतंकवाद एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, जिसे समझना और पहचानना बेहद जरूरी है। जब हम आतंकवाद की बात करते हैं, तो यह सवाल उठता है कि असल में आतंकवादी कौन हैं? क्या वे लोग जो सार्वजनिक अस्पतालों पर हमले करते हैं और हजारों मासूम बच्चों की जान लेते हैं, या वे लोग जो अपनी ज़मीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, फिर भी सिविलियनों पर हमला नहीं करते?
एक तरफ, हम उन समूहों को देखते हैं जो निर्दोष लोगों को निशाना बनाते हैं, बम धमाके करते हैं, और मासूम बच्चों की जान लेते हैं। ये वे लोग हैं जो अपने उद्देश्यों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इनकी कार्रवाई न केवल अमानवीय है, बल्कि समाज के लिए भी बेहद खतरनाक है। इस तरह के हमलों का कोई भी सही कारण नहीं हो सकता, और ये केवल आतंकवाद का प्रमाण हैं।
दूसरी तरफ, हम उन लोगों को देखते हैं जो अपने देश, अपनी ज़मीन, और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ये लोग अक्सर एक सशस्त्र संघर्ष का हिस्सा होते हैं, लेकिन वे अपनी लड़ाई में सिविलियनों को निशाना नहीं बनाते। जो लोग सिविलियनों पर हमला नहीं करते, अस्पतालों पर हमला नहीं करते, और बच्चों की जान नहीं लेते, उन्हें आतंकवादी कहना अन्याय होगा।
लेकिन मीडिया की बेइमानी देखिए। कई बार इन्हीं लोगों को आतंकवादी बताया जाता है, जो संघर्ष में शामिल हैं लेकिन निर्दोषों को नुकसान नहीं पहुंचाते। मीडिया कभी-कभी केवल एकतरफा दृष्टिकोण से खबरें पेश करता है, जिससे असलियत छिप जाती है।
आतंकवाद की पहचान करना मुश्किल है, लेकिन सही मायने में आतंकवादी वे लोग हैं जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं, लोगों के जीवन से खेलते हैं, और समाज में डर और अशांति फैलाते हैं। यह जरूरी है कि हम इस बात को समझें और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों, ताकि हम एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज की दिशा में बढ़ सकें।
नोटः लेखक के अपनी जाति विचार है हौज़ा न्यूज़ एजेंसी का लेखक के विचारो से सहमत होना आवशयक नही है।