हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, क़ुम अल-मुक़द्देसा में धर्म, संस्कृति और मीडिया पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार आज सुबह शुरू हुआ, जिसकी अध्यक्षता धर्म और मीडिया संस्थान के प्रमुख और सचिव डॉ. कमाल अकबरी ने की सेमिनार में अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने मीडिया के प्रभाव पर जोर देते हुए कहा कि आधुनिक मीडिया का प्रभाव पहले की तुलना में कहीं अधिक है और इसकी जटिलता को देखते हुए इसकी पूरी पहचान और संबंध को समझना बहुत जरूरी है।
सेमिनार से पहले 18 बैठके शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से आयोजित हुई और इस महत्वपूर्ण सेमिनार के माध्यम से मीडिया और धर्म के बीच संबंधों का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया।
इस अवसर पर धर्म और मीडिया अनुसंधान विभाग के सहायक हुज्जतुल इस्लाम हसनी ने आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी का संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आधुनिक मीडिया के उपयोग पर जोर दिया। उनके अनुसार मनुष्य हमेशा सत्य के सामने झुकता है, बशर्ते उसे सत्य की सही पहचान हो, लेकिन आज सत्य और असत्य में अंतर करना एक कठिन मामला हो गया है।
सेमिनार के सहायक प्रोफेसर डॉ. कर्मी ने दो दिवसीय कार्यक्रम का विवरण देते हुए कहा कि कुल 336 खुलासे और 153 पूर्ण लेख प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 40 लेख क़ुम और तेहरान में विभिन्न विशेष बैठको में प्रस्तुत किए जाएंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रॉडकास्टिंग के प्रमुख डॉ इस्फ़ंदयारी ने अपने भाषण में सोशल मीडिया की उपेक्षा को नासमझी, नाजायज और गैरकानूनी बताया और कहा कि इस क्षेत्र को सरकारी तंत्र के नियंत्रण में लाया जाना चाहिए।
ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मीडिया का इस्तेमाल धार्मिक, मानवीय और इस्लामी उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पश्चिमी सभ्यता को समझना जरूरी है और उसकी ताकत और कमजोरियों को पहचानना जरूरी है।
सेमिनार के अंत में चार पुस्तकों का लोकार्पण किया जाएगा, जिनमें मीडिया से जुड़े विभिन्न विषय शामिल हैं।
क़ुम और तेहरान में विभिन्न विषयों पर पैनल सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें "कृत्रिम बुद्धिमत्ता, धर्म और आधुनिक मीडिया", "धर्म और आधुनिक मीडिया के अवसर और चुनौतियाँ" जैसे विषय शामिल हैं।
सेमिनार का समापन समारोह कल तेहरान में ब्रॉडकास्टिंग यूनिवर्सिटी में आयोजित किया जाएगा।