हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा " पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैं।
قال الامیرالمؤمنين عليه السلام
وَ كُونَا لِلظَّالِمِ خَصْماً وَ لِلْمَظْلُومِ عَوْناً
हज़रत इमाम अली अ.स. ने फरमाया:
ज़ालिम के दुश्मन और मज़लूम के मददगार बने रहना।
नहजुल बलाग़ा,हिक्मत नं 47