۲۴ آبان ۱۴۰۳ |۱۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 14, 2024
सलमान

हौज़ा / भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही के फैसले में सलमान रुश्दी की विवादित पुस्तक "शैतानी आयतें" की प्रकाशन, खरीद-फरोख्त और आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया है जिसके आधार पर अब यह पुस्तक भारत में उपलब्ध हो सकती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने हालिया फैसले में सलमान रुश्दी की विवादित पुस्तक "शैतानी आयतें" के प्रकाशन, खरीद-बिक्री और आयात पर लगे प्रतिबंध को समाप्त करने का आदेश दिया है जिसके आधार पर अब यह पुस्तक भारत में उपलब्ध हो सकती है।

पिछले मंगलवार 5 नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले में फैसला सुनाया जो 2019 में दर्ज किया गया था। इस मामले में एक व्यक्ति ने "शैतानी आयतें" की भारत में आयात पर लगी पाबंदी को चुनौती दी थी अदालत ने सरकारी आदेश की अनुपलब्धता के कारण प्रतिबंध को समाप्त करते हुए कहा कि सरकार ऐसी कोई दस्तावेज़ पेश करने में असमर्थ रही है जो प्रतिबंध के जारी रहने को सही ठहरा सके।

यूरो न्यूज़ के मुताबिक, यह मामला संदीपन खान नामक व्यक्ति ने 2019 में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के खिलाफ दायर किया था जिसमें उन्होंने 1998 के उस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती दी थी जिसके तहत "शैतानी आयतें" को कथित तौर पर धर्म की निंदा के आरोप में आयात करने पर पाबंदी लगाई गई थी।

यह उल्लेखनीय है कि भारत पहला देश था जिसने 1988 में इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे इस्लामी पवित्रताओं और पैगंबर मोहम्मद साहब की निंदा के रूप में देखा गया। इसी पुस्तक के कारण ईरान के धार्मिक नेता आयतुल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था जिसके बाद दुनिया भर में भारी विरोध प्रदर्शन हुए।

अदालत ने आगे कहा कि चूंकि कोई आधिकारिक आदेश मौजूद नहीं है इसलिए प्रतिबंध को काल्पनिक नहीं माना जा सकता इसी आधार पर वकील उद्यम मुखर्जी ने बताया कि प्रतिबंध 5 नवंबर से समाप्त हो गया है फिलहाल, भारत के गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ने इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

सलमान रुश्दी पिछले तीन दशकों से ब्रिटिश सरकार के संरक्षण में रह रहा था और हाल के वर्षों में उन्हें अमेरिकी सुरक्षा मिली हुई है। हालांकि, 2022 में न्यूयॉर्क में एक साहित्यिक सम्मेलन के दौरान एक युवक के हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए और अपनी दृष्टि खो बैठा।

यह स्पष्ट है कि इस प्रतिबंध के हटने से भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी और धार्मिक संवेदनशीलता पर नए सिरे से चर्चा शुरू हो सकती है क्योंकि यह मुद्दा लंबे समय से विवादास्पद रहा है। इसके अलावा भारत में मुस्लिम समुदाय की ओर से इस न्यायिक फैसले पर संभावित प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है, जो वैश्विक मीडिया में भी चर्चा का विषय बन सकती है।

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