हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद मोहम्मद रज़ा गुलपायगानी (रह.) के उस दौर की बात है जब वे किराए के मकान में रहते थे। उस समय एक ऐसा वाकया पेश आया जिसने हज़रत ज़हरा स.ल. की उन पर खास इनायत को उजागर किया। इस घटना में एक ख्वाब के जरिए आयतुल्लाह गुलपायगानी के लिए रहने की जगह का इंतजाम हुआ, जिसकी दास्तान बेहद दिल छू लेने वाली है।
आयतुल्लाह गुलपायगानी रह. की ज़िंदगी में बार-बार मकान बदलना पड़ा क्योंकि वे किराए के मकान में रहते थे। एक बुजुर्ग आलिम जो खुद भी परहेज़गारी और तक़वा की मिसाल हैं बताते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी के शुरुआती दौर में लगभग 25 मकान बदले।
एक बार मकान की तलाश में आयतुल्लाह गुलपायगानी रह. क़ुम-ए-मुकद्दस में बाग़-ए-पनबे नामक इलाके की एक गली में पहुंचे और एक बुजुर्ग महिला के मकान पर दस्तक दी। महिला ने उनसे पूछा,आपका नाम क्या है?
उन्होंने जवाब दिया,सैयद मोहम्मद रज़ा।
फिर महिला ने पूछा,आप कहां से हैं?
उन्होंने फरमाया,गुलपायगान से।
महिला ने तुरंत कहा,मेरा मकान आपके लिए हाज़िर है।
आयतुल्लाह गुलपायगानी रह. ने इसका कारण जानने की कोशिश की तो महिला ने बताया,रात मैंने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.ल.को ख्वाब में देखा। उन्होंने मेरा नाम लेकर कहा,मेरे बेटे मोहम्मद रज़ा के पास रहने के लिए मकान नहीं है। वे मकान की तलाश में हैं। अपना मकान उन्हें दे दो।
महिला ने कहा,इस ख्वाब की वजह से मैं सुबह से आपका इंतजार कर रही थी।
यह घटना न केवल आयतुल्लाह गुलपायगानी रह.की ज़िंदगी में हज़रत ज़हरा स. की खास इनायत को दर्शाती है बल्कि यह इस बात का सबूत भी है कि अहल-ए-बैत अ.स. अपने सच्चे चाहने वालों और सेवकों के मसलों में उनकी मदद करते हैं।
संदर्भ: किताब नूरी अज़ मलकुत