۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
हरम मासूमा

हौज़ा / जामिया अल-ज़हरा (स) की शिक्षका ने हज़रत मासूमा (स) को पवित्र जीवन की मालिक बताते हुए कहा कि हज़रत मासूमा का जीवन इमाम के जीवन का सार था। आपका पालन-पोषण आपके पिता और भाई के स्कूल में हुआ।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जामेआ तुज-जहरा की शिक्षिका रुक़य्या दरविशी ने हौजा न्यूज से बात करते हुए हजरत फातिमा मासूमा की वफात के मौके पर अपनी संवेदना व्यक्त की और बात चीत मे कहा कि हज़रत फातिमा मासूमा की विशेषताओ मे से एक इमाम रज़ा (अ) ने उनके लिए ज़ियारत मुताहर का उल्लेख किया। हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के बाद वह एकमात्र महिला हैं जिनके लिए ज़ियारत का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि अली बिन इब्राहिम साद हज़रत अली बिन मूसा अल-रज़ा (अ) से नक़ल करता है कि इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमायाः हे साद तुम्हारे (क़ुम के लोगो) पास हमारी एक कब्र है। मैंने कहा: मेरी जान आप पर कुर्बान है, कब्र से आपका मतलब है सातवें इमाम की बेटी हज़रत फातिमा मासूमा (स)। इमाम ने कहा: हाँ, जिस किसी ने भी मारफत के साथ उनकी जियारत की उस पर जन्नत अनिवार्य है। फिर आपने फरमाया: जब उनकी ज़ियारत के लिए आओ, तो आपके सरहाने क़िबला की ओर मुह करके खड़े कर 34 बार "अल्लाहो अकबर", "सुभान अल्लाह" 33 बार और "अल्हम्दुलिल्लाह" 33 बार कहो, और फिर ज़ियारत पढ़ो। इस ज़ियारतनामा में नबियों को सलाम करने के बाद आप पर सलाम भेजा गया है।

जामेआ तुज़-ज़हरा की शिक्षक ने यह कहते हुए कि जियारत पर जाना एक मुस्तहब कार्य है, लेकिन यह मनुष्य को स्वर्ग जाने के लिए बाध्य करता है, जियारत नामा की पुस्तक के माध्यम से, हम इमामे मासूम की विशेषताओं को पहचानते हैं कि वह हक़ और हक़ीक़त के मुतालाशी है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जो व्यक्ति इस प्यास को समझ सकता है उसके लिए दुआ और जियारत जामे-ज़ुलाल की तरह है और धूल भरी हवा में खड़े व्यक्ति के लिए आशा की किरण है।

रुक़य्या दरविशी ने दो प्रकार की इस्मत (व्यक्तिगत और अर्जित) की ओर इशारा किया और कहा कि इस्मत ईश्वर के पैगम्बरों के लिए व्यक्तिगत है और यह हासिल की गई इस्मत एक व्यक्ति द्वारा जीवन भर जब चाहे तब प्राप्त की जा सकती है, वह जहां भी पहुंचना चाहता है, सबसे पहले उसकी समानता तक पहुंचता है और इस समानता तक पहुंचने से सम्मान और खुशी का आधार मिलता है।

जामेआ तुतज-ज़हरा (स) के शिक्षक ने यह वर्णन करते हुए कि जामिया अल-ज़हरा (स) की शिक्षका ने हज़रत मासूमा (स) को पवित्र जीवन की मालिक बताते हुए कहा कि हज़रत मासूमा का जीवन इमाम के जीवन का सार था। आपका पालन-पोषण आपके पिता और भाई के स्कूल में हुआ। हज़रत मासूमा अपने पिता और भाई के स्कूल की शिक्षिका थी।

उन्होंने आगे कहा कि हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) की एक विशेषता यह थी कि वह इस्लामी विज्ञान और मुहम्मद और उनके परिवार के विज्ञान के प्रति समर्पित थीं । हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) का नाम कई हदीसों के संचरण की श्रृंखला में उल्लेख किया गया है।

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