हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद ख़ुरासानी ने हज़रत अली (अ) के जन्म दिन के अवसर पर ख़िलक़त मे उनके आला मक़ाम और मंज़िल को बयान करते हुए कहाः
"अगर अमीरुल मोमेनीन (अ) ना होते तो आदम से लेकर ख़ातम (स) तक सभी नबीयो की बेअसत अधूरी होती... सहीफ़ो से लेकर क़ुरआन करीम तक सभी आसमानी किताबो का नुज़ूल (अवतरण) भी अधूरा होता।"
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