हौज़ा न्यूज़ एजेंसी !
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
يَسْتَخْفُونَ مِنَ النَّاسِ وَلَا يَسْتَخْفُونَ مِنَ اللَّهِ وَهُوَ مَعَهُمْ إِذْ يُبَيِّتُونَ مَا لَا يَرْضَىٰ مِنَ الْقَوْلِ ۚ وَكَانَ اللَّهُ بِمَا يَعْمَلُونَ مُحِيطًا. यस्तखफ़ूना मेनन नासे वला यसतख़फ़ूना मेनल्लाहे व होवा मअहुम इज़ योबय्येतूना मा ला यरज़ा मेनल कौले व कानल्लाहो बेमा यअमलूना मोहीता (नेसा, 108)
विषय: अल्लाह की हर समय मौजूदगी और इंसानी कर्मों की जवाबदेही
पृष्ठभूमि: यह आयत उन मुसलमानों और मुनाफिकों (पाखंडियों) के लिए नाजिल हुई, जो अपने बुरे कर्म इंसानों से छुपाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अल्लाह से उन्हें नहीं छुपा सकते।
तफ़सीर: इस आयत में "इस्तिख़फा" (छुपाना) का ज़िक्र किया गया है। यह तब होता है जब इंसान किसी के खिलाफ साजिश करे और उसे दूसरों से छुपाने की कोशिश करे। इंसान भले ही दूसरों से अपने काम छुपा ले, लेकिन अल्लाह से कुछ छुपाना असंभव है।
वे रातों को जागकर बुरे इरादे और नापसंद कार्यों की योजनाएँ बनाते हैं। लेकिन अगर कोई गुनाह करने से पहले यह सोचे कि वह उस इंसाफ करने वाले अल्लाह के सामने है, जिसके सामने उसे एक दिन हाज़िर होना है, तो वह कभी गुनाह नहीं करेगा।
महत्वपूर्ण बातें:
- इंसानों से छुपाना संभव है, लेकिन अल्लाह से नहीं।
- अल्लाह की हर समय मौजूदगी इंसान को गलत कार्यों से बचने की सीख देती है।
- अल्लाह हर चीज़ का घेराव किए हुए है, इसलिए कर्मों के इनाम और सज़ा से कोई नहीं बच सकता।
परिणआम:
यह आयत मुसलमानों को याद दिलाती है कि वे हमेशा अल्लाह की निगरानी में हैं और अपने कर्मों की जवाबदेही के लिए तैयार रहें। अल्लाह से कुछ भी छुपाना मुमकिन नहीं, इसलिए हर कर्म नेक नीयत और खालिस इरादे से करना चाहिए।
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सूर ए नेसा की तफसीर
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