हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
مَا أَصَابَكَ مِنْ حَسَنَةٍ فَمِنَ اللَّهِ ۖ وَمَا أَصَابَكَ مِنْ سَيِّئَةٍ فَمِنْ نَفْسِكَ ۚ وَأَرْسَلْنَاكَ لِلنَّاسِ رَسُولًا ۚ وَكَفَىٰ بِاللَّهِ شَهِيدًا मा असाबका मिन हसनतिन फ़मेनल्लाहे वमा असाबका मिन सय्येअतिन फ़मिन नफ़सेका व अरसलनाका लिन्नासे रसूलन व कफ़ा बिल्लाहे शहीदा (नेसा 79)
अनुवाद: जो कुछ अच्छाई और सफलता तुम्हारे पास आई है वह अल्लाह की ओर से है, और जो कुछ भी तुम्हारे पास बुराई आई है वह तुम्हारी ओर से है... और हे पैगंबर, हमने तुम्हें लोगों के लिए एक दूत बनाया है, और ईश्वर की गवाही बहुत हो चुकी है .
विषय:
यह आयत सूरह अन-निसा की 79वीं आयत है, जिसमें अल्लाह ताला इंसान में अच्छाई और बुराई के कारणों का वर्णन कर रहा है, और पवित्र पैगंबर की भविष्यवाणी और अल्लाह की गवाही को समझाया गया है।
पृष्ठभूमि:
यह आयत मदीना के दौर में नाज़िल हुई थी जब अल्लाह के रसूल (PBUH) को अविश्वासियों और पाखंडियों के विरोध और साजिशों का सामना करना पड़ रहा था। कुछ लोग अपनी असफलताओं और कठिनाइयों के लिए पैगंबर (PBUH) या भगवान को दोषी मानते थे। यह आयत इस ग़लतफ़हमी को दूर करती है और यह स्पष्ट करती है कि सफलता और अच्छाई अल्लाह का आशीर्वाद है, जबकि बुराई मनुष्य के अपने कार्यों का परिणाम है।
तफ़सीर:
1. अच्छे और बुरे के कारणः"मा असाबका मिन हसनतिन फ़मेनल्लाहे": भलाई और आशीर्वाद अल्लाह की ओर से हैं क्योंकि वह दयालु और दयालु है।
"व मा असाबका मिन सय्येअतिन फ़मिन नफ़सेका ": बुराइयां और कठिनाइयां मनुष्य के अपने कर्मों और पापों का परिणाम हैं। अल्लाह ज़ालिम नहीं है, लेकिन इंसान को उसके कर्मों से नुकसान होता है।
2. पैग़म्बरी का उद्देश्यः "वअरसलनाका लिन्नासे रसूला": अल्लाह के दूत (ﷺ) को सभी मानव जाति के लिए मार्गदर्शन और मार्गदर्शन के रूप में भेजा गया था। आपकी बात हर इंसान तक पहुंचाना अनिवार्य था।
3. अल्लाह की गवाहीः " व कफ़ा बिल्लाहे शहीदा": अल्लाह की गवाही सभी गवाहियों से बेहतर है। यह गवाही पैगंबर के संदेश की प्रामाणिकता का प्रमाण है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
• अच्छे और बुरे के कारणों का दर्शन: मनुष्य को अपने कार्यों पर विचार करना चाहिए और बुराई के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानना चाहिए।
• अल्लाह की असीम दया और मनुष्य की अपनी कमियाँ ही बुराई की असली जड़ हैं।
• अल्लाह के रसूल (PBUH) एक बड़ी ज़िम्मेदारी थे, जिसे केवल अल्लाह के आदेश से ही पूरा किया जा सकता था।
• अल्लाह की गवाही पैगंबर की सच्चाई का सबसे बड़ा सबूत है।
परिणाम:
यह आयत मनुष्य को अपने जीवन की परिस्थितियों को समझने, अल्लाह की दया के लिए आभारी होने और अपनी कमियों के लिए पश्चाताप करने के लिए आमंत्रित करती है। यह आयत अल्लाह के रसूल (PBUH) की सच्चाई को स्पष्ट करती है और लोगों को मार्गदर्शन के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करती है।
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सूर ए नेसा की तफ़सीर
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