शनिवार 18 जनवरी 2025 - 14:29
अहले-बैत (अ) अल्लाह के मुखलिस बंदे हैः मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी

हौज़ा/लखनऊ में मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने जुमे की नमाज़ के खुत्बे में कहा कि मैं अपने आप को और आप सभी को तक़वा-ए-इलाही अपनाने की नसीहत और इलाही तकवा इख्तियार करने की वसीयत कर रहा हूँ। परवरदिगार हम सभी को इतनी तौफीक दे कि हम अपनी ज़िंदगी में हमेशा उससे डरते रहें, उसके हुक्मों पर अमल करते रहें, हराम से बचते रहें और वाजिबात पर अमल करते रहें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने अमीर अल-मोमिनीन इमाम अली (अ) के खुत्बे-ए-गदीर की रोशनी में गदीर के दिन रोज़ा रखने की अहमियत पर कहा कि गदीर के दिन रोज़ा रखने की अल्लाह तबारक व ताआला ने ताकीद की है और बहुत बड़ा ईनाम देने की गारंटी दी है। गदीर के दिन रोज़ा रखने का सवाब दुनिया की शुरुआत से लेकर अंत तक की तमाम इबादतों के सवाब के बराबर है।

मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने आगे कहा कि इस रोज़े में एक शर्त है जो अमीर अल-मोमिनीन (अ) ने रखी है और वह शर्त इखलास (सच्चाई) है, यानी यह रोज़ा केवल अल्लाह के लिए हो, केवल अल्लाह की रज़ा के लिए हो, दुनिया दिखावे और रिया (दिखावा) के लिए न हो।

इखलास की समझाते हुए मौलाना ने कहा:अल्लाह ताआला का फरमान है, "इखलास मेरे राज़ों में से एक राज़ है। जिसको मैं चाहता हूँ, उसके दिल में इसे डाल देता हूँ।" इस से यह साफ़ है कि अल्लाह के पसंदीदा बंदों की ताबियत कीजिए ताकि हम इखलास (सच्चाई) में क़दम बढ़ा सकें। और अल्लाह के सच्चे बंदे सिर्फ़ और सिर्फ़ अहले-बैत अ.स. हैं।

अहले-बैत (अ) अल्लाह के मुखलिस बंदे हैः मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी

मौलाना ने इमाम जाफ़र सादिक अ.स. की एक लंबी हदीस का सार प्रस्तुत करते हुए कहा: कि गदीर वह दिन है जिस दिन अल्लाह ताआला ने आदम (अ) की तौबा को क़बूल किया था और शुकराने में जनाब आदम (अ) ने गदीर के दिन रोज़ा रखा था। गदीर वह दिन है जब अल्लाह तबारक व ताआला ने इब्राहीम (अ) को नमरूद की आग से नजात दी थी और शुकराने में उन्होंने गदीर के दिन रोज़ा रखा। गदीर वह दिन है जब जनाब मूसा (अ) ने हारून (अ) को अपना वली (नायब) नियुक्त किया था और शुकराने में उन्होंने भी गदीर के दिन रोज़ा रखा था। गदीर वह दिन है जब हज़रत ईसा (अ) ने शमोन को अपना वसी (ख़लीफा) नियुक्त किया था और शुकराने में उन्होंने गदीर के दिन रोज़ा रखा। और गदीर वह दिन है जब हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स) ने मौला अली (अ) को अपना ख़लीफा और जानशीन अल्लाह के हुक्म से नियुक्त किया था, और शुकराने में उन्होंने भी गदीर के दिन रोज़ा रखा था।

मौलाना ने मीडिया के प्रचार पर भी ध्यान दिलाया और कहा कि मीडिया के प्रोपेगेंडा पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि गदीर के दिन के रोज़े की जितनी अहमियत और फ़ज़ीलत बयान की गई थी, उसे काफ़ी हद तक आशोरा के दिन से जोड़ दिया गया है। यह सब मीडिया का प्रोपेगेंडा है।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha