हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इमाम खुमैनी (र) की बरसी के अवसर पर अंधेरी (मुंबई) के ज़ेब पैलेस में "याद-ए-इमाम राहिल" नामक एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान के पाठ से हुई, जिसे मौलाना अली हमजा साहिब ने किया इस अवसर पर मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी और मौलाना फ़य्याज बाक़िर हुसैनी ने तकरीर की, जबकि मौलाना हसन हमजा साहब ने काव्यमय श्रद्धांजलि पेश की। इसके अलावा इस्लामिक लर्निंग मूवमेंट के बच्चों ने सुरुद और एक सुंदर नाटक पेश किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
इस अवसर पर मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी ने इमाम खुमैनी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए नजफ अशरफ की एक घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इमाम खुमैनी ने दस साल तक नजफ में मजलिस नहीं पढञी, जिसके लिए उन्होंने बताया कि एक बार जब उन्होंने मजलिस पढ़ी, तो लोगों ने उनकी बहुत प्रशंसा की, जो उनके इखलास के विपरीत लगा। इमाम ने कहा कि हमें अपनी प्रशंसा पसंद नहीं है, इसीलिए उसके बाद दस साल तक मजलिस नही पढ़ी।
मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी ने आगे कहा कि इमाम खुमैनी की इखलास और हिम्मत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इराकी खुफिया प्रमुख ने उन्हें डराने की कोशिश की और कहा, "जब ईरान में रजा शाह सत्ता में था, तो उन्होंने कहा, "हमारे ईरान के साथ अच्छे संबंध हैं," इसलिए इमाम खुमैनी ने बिना किसी औचित्य के अपनी स्थिति को स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया। इसी तरह, जब अमेरिकी राष्ट्रपति का प्रतिनिधि इमाम खुमैनी से मिलने आया, तो इमाम खुमैनी पहले तो औचित्य के कारण चुप रहे, लेकिन जब वह विमान में बैठे, तो इमाम ने कहा, "हम उनसे नहीं मिलेंगे," और वह उनसे मिले बिना वापस लौट गए। ये घटनाएं इमाम खुमैनी के इखलास और हिम्मत का स्पष्ट सबूत हैं।
मौलाना फ़य्याज बाक़िर हुसैनी ने अपने भाषण में कहा कि इमाम खुमैनी के व्यक्तित्व का सबसे प्रमुख पहलू यह था कि उन्होंने हर कार्य का श्रेय अल्लाह को दिया। उन्होंने हमेशा "तौहीद ए अफाली" के संदर्भ में अल्लाह की संप्रभुता को ध्यान में रखा। मौलाना ने एक उदाहरण देते हुए कहा जब खुर्रमशहर आजाद हुआ तो इमाम खुमैनी ने कहा, "इस खुर्रमशहर को अल्लाह ने आजाद कराया है।"
हालाँकि यह एक बड़ी उपलब्धि थी और लोग आमतौर पर ऐसे मौकों पर अपनी जीत का श्रेय लेते हैं, लेकिन इमाम खुमैनी ने हमेशा इसे अल्लाह की मदद का श्रेय दिया। मौलाना ने कहा कि यही वह विशेषता है जिसने इमाम खुमैनी को न केवल एक ऐतिहासिक व्यक्ति बनाया, बल्कि अपने समय का एक जीवंत चरित्र बनाया। इमाम खुमैनी ने इखलास, विश्वास और रणनीति के माध्यम से दुनिया के परिदृश्य को बदल दिया।
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