हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनई ने "अंतिम क्षणों में नमाज़ की नीयत के तरीक़े" पर जनमत संग्रह पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जिसे शरई अहकाम में रुचि रखने वालों के सामने पेश किया जा रहा है।
* अंतिम क्षण मे नमाज़ की नीयक का तरीक़ा
प्रश्न: यदि सुबह की नमाज़ मे दो मिनट शेष रहते शुरू की जाए और नमाज़ के दौरान सूरज निकल आए तो नमाज़ का क्या हुक्म है? क्या इसकी कज़ा करना अनिवार्य है या इसे अदा नमाज़ माना जाएगा?
उत्तर: यदि निर्धारित समय में कम से कम एक रकअत नमाज अदा कर ली जाए तो नमाज अदा मानी जाएगी। और अगर इस बात में शक हो कि एक रक़अत के लिए भी वक़्त बाक़ी है या नहीं तो नमाज़ उस नीयत से पढ़ो जो तुम पर वाजिब हो (यानी न अदा की नीयत से और न क़ज़ा की नीयत से)। हालाँकि जानबूझकर इतने लंबे समय तक नमाज़ में देरी करना जायज़ नहीं है।
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