हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा शुबैरी ज़ंजानी ने "अतिथि के आतिथ्य के लिए नमाज़ में देरी करने" के संबंध में एक जनमत संग्रह पर प्रतिक्रिया दी है, जिसे हमारे पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।
* अतिथि का सत्कार करने के लिए नमाज़ मे देरी करना
प्रश्न: क्या किसी मेहमान की खातिर नमाज़ को अव्वले वक़्त से देर करना जायज़ है?
उत्तर: दोनों काम एक साथ किये जा सकते हैं, बशर्ते कि पहले वाजिब नमाज़ अदा कर ली जाए और मेहमान को इजाज़त दे दी जाए। क्योंकि अव्वल वक़्त पर नमाज अदा करना प्राथमिकता और पुण्य प्राप्त होता है, लेकिन यदि इसे सामान्यतः अतिथि का अपमान माना जाता है, तो उस स्थिति में नमाज़ में देरी की जा सकती है।
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