गुरुवार 30 जनवरी 2025 - 18:55
क़ुरआन की महानता, नबियों की मेहनत और इंसानियत की इज़्जत बचाने के लिए इमाम हुसैन ने मदीना को छोड़कर मक्का और फिर कर्बला की ओर हिजरत की, मौलाना क़ंबर नक़वी

हौज़ा/सिरसी सादात में "सय्यद-ए-अबरार ने तर्क-ए-वतन कर दिया" की आवाज़ो के साथ इमाम हुसैन (अ) के सफ़र का जुलूस निकाला गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सिरसी सादात मे हज़रत रसूल-ए-अकरम (स) ने मुशरिको और काफ़िरों की लगातार साज़िशों के कारण मक्का से मदीना हिजरत की। वहीं, उनके नवासे इमाम हुसैन को मुनाफ़िक़ों की औलाद यज़ीद की इस्लाम दुश्मन साज़िशों का विरोध करते हुए बैअत करने से इंकार करना पड़ा और फिर मजबूरी में 28 रजब 60 हिजरी में मदीना से मक्का और फिर कर्बला की ओर हिजरत करनी पड़ी।

यज़ीद का उद्देश्य और मकसद अपने पूर्वजों की तरह इस्लाम में घुसकर इस्लाम की असल शक्ल को खत्म करना और औलाद-ए-मोहम्मद और अलीؑ, हज़रत इमाम हुसैन को शहीद कर के बद्र, ओहोद, खंदक और ख़ैबर में मारे गए अपने पूर्वजों का बदला लेना था। इन हकीकतों का इज़हार अलहाज मौलाना सैय्यद क़मर अब्बास क़ंबर नक़वी सिरसिवी ने फ़र्ज़ंदगान-ए-क़मर अब्बास मुलाई के ज़ेरे एहतमाम, इमाम बारगाह हज़रत अबुलफ़ज़ल अब्बास से निकलने वाले जुलूस-ए-सफ़र-ए-इमाम हुसैन (जुलूस-ए-नौचंदी) में किया।

मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन ने कर्बला में अपनी अज़ीम कुरबानी देकर यज़ीद और यज़ीदियत को ऐसी शिकस्त दी कि आज तक ना तो यज़ीदियत सिर उठा सकी और ना ही यज़ीद और यज़ीद सूरत अफ़राद ने औलाद ए हुसैन से बैअत लेने की जुर्रत न की। हालांकि, इस नस्ल और सूरत के अफ़राद ने वलीअहदी और दामादी की पेशकश की।

अख़ीर में इमाम हुसैन के क़बर-ए-रसूल-ए- अकरम (स), माँ हज़रत ज़हरा और भाई इमाम हसन और मदीना से रुखसती के मंज़र पेश किए गए, जिस पर मोमेनीन और हाज़रीने ने जोरदार ग़म-ओ-रोना किया। मज्लिस में सोज़ख़ानी अलहाज ग़दीर-उल-हसन ने और निज़ामत मशहूर शायर अख़्तर सिरसिवी ने की। मज्लिस के बाद शबीहे ज़ुलजनाह, आमारी और अलम-ए-मुब़ारक निकाले गए। जुलूस में अली काज़िम और अख़्तर सिरसिवी ने ऐतिहासिक नोहा "सय्यद-ए-अबरार ने तर्क-ए-वतन कर दिया, क़ौम के सरदार ने तर्क-ए-वतन कर दिया" पढ़ा। जुलूस और मज्लिस में बड़ी संख्या में उलेमा, खुत्बा, शोअरा के साथ हज़ारों की तादाद में मोमेनीन और मोमेनात ने शिरकत की। मुनज़िम-ए-जुलूस हसन अब्बास नक़वी और ज़ैन-अल-अब्बास नक़वी ने तमाम शुरका और ज़िला इंतिज़ामिया का शुक्रिया अदा किया।

क़ुरआन की महानता, नबियों की मेहनत और इंसानियत की इज़्जत बचाने के लिए इमाम हुसैन ने मदीना को छोड़कर मक्का और फिर कर्बला की ओर हिजरत की, मौलाना क़ंबेर नक़वी

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