۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024
لکھنؤ میں شہید مقاومت سید حسن نصر اللہ کے چہلم کی مناسبت سے مجلس عزاء کا انعقاد

हौज़ा / शनिवार को लखनऊ के हुसैनाबाद स्थित छोटे इमामबाड़े में हिजबुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह के चालीसवें की मजलिस (शोक सभा) का आयोजन किया गया। इस मजलिस का आयोजन हैदरी टास्क फोर्स द्वारा किया गया था जिसे मौलाना यासूब अब्बास ने संबोधित किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , 2 नवंबर शनिवार को लखनऊ के हुसैनाबाद स्थित छोटे इमामबाड़े में हिजबुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरल्लाह के चालीसवें की मजलिस (शोक सभा) का आयोजन किया गया। इस मजलिस का आयोजन हैदरी टास्क फोर्स (एचटीएफ) द्वारा किया गया था जिसे मौलाना यासूब अब्बास ने संबोधित किया।

मौलाना यासूब अब्बास ने अपने संबोधन में कुरान, पैगंबर हज़रत मोहम्मद और अहले’बैत की शिक्षाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमें हमेशा ज़ालिम का विरोध और मजलूम का समर्थन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सैयद हसन नसरल्लाह ने इस्लामी शिक्षाओं का पालन करते हुए जीवन भर ज़ालिम इस्राइल का विरोध और फिलिस्तीन के मजलूमों का समर्थन किया मौलाना ने नसरल्लाह को मानवता के लिए दी गई कुर्बानी का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस्लाम के अनुसार शहीद कभी मरते नहीं हैं और सैयद हसन नसरल्लाह इसी तरह अमर हैं।

मजलिस के दौरान मौलाना यासूब अब्बास ने फिलिस्तीन और लेबनान पर इस्राइल के हमलों की कड़ी निंदा की और इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को नरसंहार का दोषी ठहराया।

मौलाना ने इस्राइल द्वारा हाल ही में ईरान पर किए गए हमले की भी आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को इस्राइल को हथियार देना बंद करना चाहिए ताकि फिलिस्तीन और लेबनान में बेगुनाह महिलाओं और बच्चों का नरसंहार रोका जा सके।

सैयद हसन नसरल्लाह की बहादुरी का जिक्र करते हुए मौलाना ने कहा, "उनकी बहादुरी ने सीरिया में आतंकी संगठन आईएसआईएस को हराने और हज़रत ज़ैनब के रौज़े की रक्षा में अहम भूमिका निभाई। उनके इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।"

इस मजलिस ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष हुज्जत उल इस्लाम मौलाना साएम मेहंदी नक़वी, मौलाना जाफ़र अब्बास, मौलाना इंतिज़ाम हैदर, मौलाना रज़ा अब्बास, मौलाना हसन मीरपूरी, मौलाना शरर नक़वी, मौलाना लुक़मान हैदर (बेंगलुरु) के साथ बड़ी संख्या में हज़राते उलेमा, ख़ोतबा, शोअरा, ज़ाकिरीन, वाएज़ीन, व बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत करके शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया।

मजलिस के आरम्भ में शायरों ने अहले' बैत की शान में अपने कलाम पेश किए, और बादे मजलिस शहर की मातमी अंजुमनों द्वारा नौहाख़्वानी की गई।

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