शुक्रवार 14 फ़रवरी 2025 - 13:08
वक्फ संशोधन विधेयक को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा तथा इसके खिलाफ जोरदार कानूनी संघर्ष जारी रहेगा

हौज़ा/  राष्ट्रीय नेताओं ने देश के करोड़ों मुसलमानों की भावनाओं और राष्ट्रीय संगठनों के सुझावों की अनदेखी करते हुए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक पर गहरा दुख व्यक्त किया और एक बार फिर लोकतंत्र और कानून के दायरे में पूरी ताकत से इसका विरोध करने की चेतावनी दी।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय नेताओं ने देश के करोड़ों मुसलमानों की भावनाओं और राष्ट्रीय संगठनों के सुझावों की अनदेखी करते हुए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक पर गहरा दुख व्यक्त किया और एक बार फिर लोकतंत्र और कानून के दायरे में पूरी ताकत से इसका विरोध करने की चेतावनी दी।

राष्ट्रीय संगठनों ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर संसद बहुमत के कारण उसके हाथ में है तो देश के संविधान ने सड़कें भी हमारे हाथ में रखी हैं। नई दिल्ली प्रेस क्लब में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना ओबैदुल्लाह खान आज़मी, महासचिव मौलाना फजलुर रहमान मुजद्दिदी, नायब अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद मलिक मुतासिम खान और बोर्ड प्रवक्ता डॉ सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक आपातकालीन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश के लाखों मुसलमानों के सुझावों और आपत्तियों की अनदेखी करने के लिए वक्फ संबंधी संसदीय समिति की कड़ी निंदा की, साथ ही समिति में मौजूद विपक्षी सदस्यों की भी निंदा की और इसे बेहद अलोकतांत्रिक और मनमाना तरीका बताया। राष्ट्रीय नेताओं ने इस बात पर भी गहरा रोष व्यक्त किया कि विधेयक का विरोध करने वाले 50 मिलियन से अधिक ईमेल को नजरअंदाज कर दिया गया।

इस बीच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारी परिषद ने गुरुवार को दोहराया कि वक्फ संशोधन विधेयक को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा और कानून के दायरे में इसके खिलाफ जोरदार संघर्ष जारी रहेगा। जमीयत उलेमा की कार्यकारी परिषद की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक में अपने अध्यक्षीय भाषण में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम जो चिंताएं व्यक्त कर रहे थे, वे सही साबित हुईं। केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों की प्रकृति बदलना चाहती है और उन पर कब्जे को आसान बनाना चाहती है, जो अस्वीकार्य है। यह मुसलमानों के लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, जिसके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।

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