मंगलवार 15 जुलाई 2025 - 08:31
इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) से मिलने और उनकी ख़िदमत में हाज़री का अवसर

हौज़ा / इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) से लोगों का मिलना निश्चित है। वहीं, जो लोग ग़ैबत क़ुबरा के दौरान खुद को इमाम के खास प्रतिनिधि या दूत बताते हैं और उनके और लोगों के बीच मध्यस्थता का दावा करते हैं, उनका दावा झूठा और गलत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, कई प्रतिष्ठित और भरोसेमंद लोग ऐसे हैं जिन्होंने बहुत सारी कहानियां बताई हैं, जो इतनी विश्वसनीय हैं कि वे लगभग निश्चित मानी जाती हैं, जिनमें उन्होंने इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) से मिलने का सौभाग्य पाया है। ये बातें विश्वसनीय स्रोतों के साथ प्रसिद्ध किताबों में दर्ज हैं।

हमारे इस ज़माने में भी कुछ लोग इस महान सौभाग्य को प्राप्त कर चुके हैं कि उन्होंने इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) से मिलने का अनुभव किया है। हालांकि, इमाम महदी ने ग़ैबत सुगरा के दौरान अपने चौथे नायब (प्रतिनिधि) अली बिन मुहम्मद समरी को एक पत्र (तौकीअ) में फ़रमाया था:

... فَاجْمَعْ أَمْرَکَ وَ لاَ تُوصِ إِلَی أَحَدٍ فَیَقُومَ مَقَامَکَ بَعْدَ وَفَاتِکَ فَقَدْ وَقَعَتِ اَلْغَیْبَةُ اَلتَّامَّةُ فَلاَ ظُهُورَ إِلاَّ بَعْدَ إِذْنِ اَللَّهِ تَعَالَی ذِکْرُهُ وَ ذَلِکَ بَعْدَ طُولِ اَلْأَمَدِ وَ قَسْوَةِ اَلْقُلُوبِ وَ اِمْتِلاَءِ اَلْأَرْضِ جَوْراً وَ سَیَأْتِی شِیعَتِی مَنْ یَدَّعِی اَلْمُشَاهَدَةَ [أَلاَ فَمَنِ اِدَّعَی اَلْمُشَاهَدَةَ] قَبْلَ خُرُوجِ اَلسُّفْیَانِیِّ وَ اَلصَّیْحَةِ فَهُوَ کَذَّابٌ مُفْتَرٍ ... ... फ़ज्मअ अमरका वला तूसे ऐला अहदिन फ़यक़ूमो मक़ामका बादा वफ़ातेका फ़क़द वक़अतिल ग़ैबतुत ताम्मतुन फ़ला ज़ोहूरा इल्ला बादा इज़्निल्लाहे तआला ज़िक्रोहू व ज़ालेका बादा तूलिल अमदे व क़स्वतिल क़ुलूबे व इम्तेलाइल अर्ज़े जौरन व सयाती शीअती मय यद्दइल मुशाहदता (अला फ़मन इद्दअल मुशाहदता) क़ब्ला खुरूजिस सुफ़्यानिय्ये व स्यहते फ़होवा कज़्ज़ाबुन मुफ़तरिन ---

अपने कामों को संभालो और किसी को अपना उत्तराधिकारी मत बनाओ, क्योंकि ग़ैबत क़ुबरा शुरू हो चुकी है। अब मेरा ज़ुहूर केवल अल्लाह के इजाजत से होगा, और वह भी बहुत लंबे समय के बाद, जब दिल कठोर हो जाएंगे और ज़मीन अन्याय और अत्याचार से भर जाएगी। मेरे शिया में से कुछ लोग आएंगे जो दावा करेंगे कि उन्होंने मुझे देखा है। जान लो कि जो कोई भी सुफ़्यानी के खुरूज और सय्हा (आकाशीय आवाज़) से पहले मुझे देखने का दावा करेगा, वह झूठा और धोखेबाज़ है।" (अल-ग़ैबा, शेख़ तूसी, भाग 1, पेज 395)

सवाल:
चूंकि इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) से मिलने की दास्तानें बिल्कुल भी संदिग्ध नहीं हैं, तो इस तौकीअ (पत्र) की व्याख्या कैसे की जानी चाहिए?

इस तौकीअ का मतलब है कि "ग़ैबत सुग़रा" खत्म हो चुकी है और "ग़ैबत क़ुबरा" शुरू हो गई है। इसमें अली बिन मुहम्मद समरी (र) को आदेश दिया गया है कि वह किसी को अपना उत्तराधिकारी या खास नाईब न बनाए जो उनके बाद उनकी जगह ले सके।

साथ ही, यह स्पष्ट रूप से उन लोगों के दावे को गलत ठहराता है जो ग़ैबत क़ुबरा के दौरान खुद को इमाम के खास दूत या प्रतिनिधि बताते हैं और उनके और लोगों के बीच मध्यस्थता का दावा करते हैं।

इसलिए, जैसा कि कुछ बड़े विद्वानों ने भी कहा है, यह संभव है कि जब कहा गया है कि "जो देखने का दावा करता है वह झूठा और झूठा बोलने वाला है," तो इसका मतलब उन लोगों से हो जो खुद को नायब (प्रतिनिधि) बताते हैं और देखने या मिलने का दावा करके खुद को इमाम (अलैहिस्सलाम) और लोगों के बीच दूत या मध्यस्थ के रूप में पेश करते हैं। और जो कहानियां हैं कि कुछ लोगों ने इमाम से मुलाकात की है, वे इस बात का सबूत हैं कि इस तौकीअ में पूरी तरह से मिलने या देखने को नकारा नहीं गया है, बल्कि इसका मतलब है कि किसी खास व्यक्ति को नायब नियुक्त करने के झूठे दावों को नकारा गया है।

साथ ही, इस तौकीअ का मतलब यह भी हो सकता है कि देखने या संपर्क करने का दावा अगर कोई अपनी मर्जी से करता है, जैसे कि जब चाहे इमाम से मिलने या संपर्क करने का दावा करे, तो वह झूठा और बेईमान है। और ग़ैबत क़ुबरा में ऐसा कोई दावा स्वीकार नहीं किया जाता।

संक्षेप में, इस तौकीअ के बावजूद, उन सभी प्रसिद्ध और विश्वसनीय कहानियों और घटनाओं पर कोई शक नहीं किया जा सकता, और प्रमाणों के हिसाब से भी इन कहानियों को प्राथमिकता दी जाती है।

इसलिए, यह निश्चित है कि कुछ लोगों ने इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) की खिदमत में हाजिर हुए है, और साथ ही यह भी स्पष्ट है कि जो लोग ग़ैबत क़ुबरा के दौरान खुद को इमाम के खास नायब या प्रतिनिधि बताते हैं और उनके और लोगों के बीच मध्यस्थता का दावा करते हैं, उनके दावे झूठे और गलत हैं।

श्रृंखला जारी है ---

इक़्तेबास : आयतुल्लाह साफ़ी गुलपाएगानी द्वारा लिखित किताब "पासुख दह पुरशिसे पैरामून इमामत " से (मामूली परिवर्तन के साथ) 

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