हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , गाज़ा पर जारी सियोनी आक्रमण ने जहां पूरे समाज को तबाही के कगार पर पहुंचा दिया है, वहीं नवजात बच्चों की हालत भी अत्यंत दुखद और चिंताजनक हो चुकी है। चिकित्सा स्रोत और मानवाधिकार संगठन लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि नवजात शिशुओं के जीवन, स्वास्थ्य और भविष्य को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्रोतों के अनुसार, इस साल के पहले छह महीनों में गाज़ा में 17,000 बच्चों का जन्म हुआ, लेकिन इसी अवधि में,2,600 गर्भपात के मामले सामने आए,
220 गर्भवती महिलाओं के बच्चों की मृत्यु हुई,
21 शिशुओं की जन्म के पहले ही दिन मौत हो गई।
इसके अलावा,67 नवजात शिशु जन्मजात विकृतियों और शारीरिक दोषों के साथ पैदा हुए। 2,535 शिशुओं को खराब स्वास्थ्य के कारण इन्क्यूबेटर में रखा गया।1,600 बच्चे सामान्य से कम वजन के साथ पैदा हुए।1,460 शिशु समय से पहले पैदा हुए, जिन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की जरूरत थी।
संयुक्त राष्ट्र की फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए सहायता एजेंसी (UNRWA) के मीडिया सलाहकार, अदनान अबू हसना ने अल-अरबिया को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि गाज़ा में अधूरे विकसित बच्चे असामान्य जेनेटिक परिवर्तनों के साथ पैदा हो रहे हैं, जो इस क्षेत्र में एक नई चिकित्सीय त्रासदी है।
उन्होंने आगे बताया कि लगभग 70,000 बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं, जबकि गाज़ा की 90% से अधिक आबादी कुपोषण से ग्रस्त है। उनके अनुसार, अस्पतालों में दवाओं की पूरी तरह से कमी है, और चिकित्सा कर्मचारी भी अत्यधिक थकान, संसाधनों की कमी और बमबारी के खतरों के कारण बेहद परेशान हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह स्थिति जारी रही, तो गाज़ा की एक पूरी पीढ़ी शारीरिक और मानसिक विकलांगता, पुराने कुपोषण और गंभीर चिकित्सा संकट के साये में पलेगी, जो आने वाले वर्षों में मानवीय त्रासदी की सबसे बुरी मिसाल बन सकती है।
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