हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लाम में बच्चे को दूध पिलाने से (जिसे रज़ाअत कहा जाता है) पैदा होने वाला रिश्ता (मह-रमियत) खास शरई नियमों के तहत होता है।
चिकित्सा के नए विकास और बिना गर्भावस्था के (जैसे हार्मोन के जरिए) दूध पिलाने की संभावना के कारण यह सवाल उठता है कि क्या ऐसा दूध पिलाना भी मह-रमियत पैदा करता है या नहीं।
यह सवाल खासकर उन परिवारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो मुह बोले बच्चों की देखभाल करते हैं। इस विषय पर आयतुल्लाह ख़ामनेई ने एक सवाल का जवाब दिया है, जो हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।
सवाल:
अगर कोई महिला बिना सामान्य गर्भावस्था के, सिर्फ हार्मोन वाली दवाइयां लेकर अपने मुह बोले बच्चे को दूध पिलाए, तो क्या इससे शरई मह-रमियत साबित होती है?
जवाब:
नहीं, इस स्थिति में शरई मह-रमियत साबित नहीं होती।
फ़िक़्ही व्याख्या:
ध्यान रखना चाहिए कि मह-रमियत केवल उसी स्तनपान से बनती है जो गर्भावस्था के बाद हुआ हो (जैसे कि शरई किताबों में बताया गया है)।
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