हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, पिछले ग्यारह सालों की तरह इस साल भी अंजुमने ग़ुलामाने सय्यदा ज़ैनब (स) लखनऊ, हिंदुस्तान की जानिब से और आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफिज़ बशीर हुसैन नज़फ़ी के केंद्रीय कार्यालय की निगरानी में बैनुल हरमैन करबला मुक़द्दसा में आयोजित जश्न-ए-सब्र व वफ़ा में आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफिज़ बशीर हुसैन नज़फ़ी के केंद्रीय कार्यालय के निदेशक और अनवारुल नजफ़ीया फ़ाउंडेशन के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम शेख़ अली नजफ़ी शिरकत की।
उन्होंने हाज़ेरीन को मरज-ए-आली क़द्र का सलाम उनकी दुआएं और नसीहतें पहुंचाते हुए फरमाया,स्थान और समय चाहे जैसा भी हो मोमेनीन को हमेशा विलायते मोहम्मद व आले मोहम्मद (अ) से जुड़े रहना चाहिए और अज़ादारी व मजलिसे इमाम हुसैन (अ) को अपनी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बनाना चाहिए।
आज जो भी इज़्ज़त, माल-दौलत और बरकत हमारे पास है वह अज़ादारी इमाम हुसैन (अ) की बदौलत है।हज़रत इमाम हुसैन (अ) ने दीन को बचाया और उसे हमेशा के लिए कायम रखा।
दीन पर अटल रहने के लिए हज़रत इमाम हुसैन (अ) सबसे बेहतरीन मिसाल हैं।हमें इमाम हुसैन (अ) से अपनी मोहब्बत और वफ़ादारी हमेशा तजदीद करते रहना चाहिए।
हज़रत इमाम हुसैन (अ) की बरकत से ही आज हम नमाज़ और दीन के रास्ते पर कायम हैं। जनाब ज़ैनब (अ) जो ज़ालिमों से अपना पर्दा बचाती रहीं, इसी जद्दो-जहद और क़ुर्बानी का फ़ैज़ है कि आज हमारी माँएं बहनें पर्दे में हैं।
मौला अब्बास (अ) जिन्होंने अपना हाथ शहीद करवा दिया लेकिन पानी नहीं पिया, हमने उनसे वफ़ा सीखी है कि किस तरह अपने इमाम और दीन से वफ़ादारी की जाती है।
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