हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,लखनऊ 28 मार्च: रमज़ान के आख़री जुमे को विश्व कुद्स दिवस के मौके पर मज़लूम फिलिस्तीनियों के समर्थन, ग़ाज़ा में जारी नरसंहार और इजरायली बर्बरता के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ नारे लगाए और ग़ाज़ा, लेबनान और फिलिस्तीन में जारी इजरायली आतंकवाद की निंदा की।
प्रदर्शनकारी हाथों में ऐसी तख्तियां लिए हुए थे जिन पर फिलिस्तीन के समर्थन और इजराइल और अमेरिका के खिलाफ नारे लिखे हुए थे। विरोध प्रदर्शन में नेतन्याहू की तस्वीर जलाई गयी। इस मौक़े पर शोहदा-ए-क़ुद्स की याद भी मनाई गई और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मजलिस उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि ज़ालिम चाहे कितना भी ज़ुल्म कर ले अंत में उसका विनाश ही होगा। इतिहास गवाह है कि दुनिया के सभी ज़ालिम मिट गए।
लेकिन मज़लूमनों की याद और उनके कारनामे आज भी ज़िंदा हैं। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति कितना भी ज़ुल्म कर लें, वे हर हाल में हारेंगे और विनाश ही उनका मुक़द्दर होगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर इजराइल को खत्म करना है तो मुसलमानों को एकजुट होना होगा।
मुसलमानों की एकता के बिना इज़राइल का ख़ात्मा करना संभव नहीं है। यही कारण है कि अमेरिकी और इज़रायली एजेंट मुसलमानों को विभाजित करने में लगे रहते है ताकि वे एकजुट न हो सकें। मौलाना ने कहा कि अमेरिकी जनता ने फिर से एक पागल आदमी को अपना राष्ट्रपति चुना है जो दुनिया की शांति के लिए बहुत खतरनाक साबित होगा।
ऐसा पागल शख्स ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई को पत्र लिखकर धमका रहा है कि अगर ईरान वर्ता की मेज़ पर न आया तो हम ईरान पर हमला कर देंगे। मौलाना ने कहा कि ईरान को खोखली धमकियों से नहीं डराया जा सकता दुनिया में हमेशा तानाशाह और अत्याचारी इसी तरह की धमकियां देते रहे हैं, लेकिन उनका अंत इबरतनाक ही हुआ है।
मौलाना ने कहा कि मुसलमानों के नाम पर जितने भी आतंकी संगठन बने हैं उनमें कोई मुसलमान नहीं है यदि वे मुसलमान होते तो मुस्लिम दुनिया की समस्याओं पर चुप क्यों रहते? क्या तालिबान, अल-कायदा, दाएश और वर्तमान हयात तहरीर अल-शाम ने कभी फिलिस्तीन, गाजा और दुनिया में मौजूद मज़लूम मुसलमानो के समर्थन में कोई बयान दिया।
पश्चिमी देशों में पवित्र कुरान जलाया गया काबा की शक्ल में शराब खाना बनाया गया, मुसलमानों पर दिन-ब-दिन जुल्म हो रहे हैं, क्या इन आतंकवादी संगठनो ने कभी निंदा का कोई बयान जारी किया? ये कोई मुस्लिम संगठन नहीं बल्कि मुसलमानों के नाम पर अमेरिका और इजराइल द्वारा बनाए गए आतंकवादी संगठन हैं जिनमें कोई भी मुसलमान नहीं है।
मौलाना ने कहा कि हम अपनी सरकार से फिलिस्तीन को लेकर वही नीति अपनाने की मांग करते हैं जो आजादी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाचपेई ने अपनाई थी। हमारे देश ने हमेशा मजलूमों का साथ दिया है, इसलिए अमेरिका और इजराइल की मोहब्बत में मज़लूमों का साथ न छोड़ा जाये।
मौलाना ने सभी मानवाधिकार संगठनों से गाजा में शांति की स्थापना सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू एक युद्ध अपराधी हैं और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गाजा में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, बच्चे भूख से मर रहे हैं, इसलिए मानवीय सहायता पहुंचाने के रास्ते खोले जाने चाहिए।
मौलाना ने कहा कि गाजा नर्क में तब्दील हो गया है, वहां के लोगों को सबदतरीन हालात का सामना करना पड़ रहा है। गाजा के लोगों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है, लेकिन इज़राइल ने क्रूरता की सभी हदें पार कर दी हैं और मानवीय सहायता मार्गों को बंद कर दिया है।
मौलाना सईदुल हसन नक़वी ने कहा कि औपनिवेशिक शक्तियों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया है। जो यहूदी हिटलर के अत्याचारों से परेशान होकर इस सरज़मींन पर आए थे और उन्हें फिलिस्तीनियों ने पनाह दी थी, आज ज़ायोनी उनका नरसंहार कर रहे हैं और उनकी भूमि पर कब्ज़ा किये हुए है।
मौलना इक़बाल हैदरी ने कहा कि हज़रत अली का फरमान है की मज़लूम के मददगार बन जाओ और ज़ालिम के दुश्मन रहो। इमाम की यह बात हमारे लिए मार्गदर्शक है। इसलिए हम फिलिस्तीन, ग़ाज़ा, लेबनान और सीरिया के मज़लूमो के साथ खड़े हैं और औपनिवेशिक शक्तियों की बर्बरता की निंदा करते हैं।
मौलाना मुशाहिद आलम रिज़वी ने तकरीर में कहा कि फिलिस्तीन सिर्फ मुसलमानों की मसअला नहीं है, बल्कि पूरी इंसानियत का मसअला है. जब तक यह समस्या हल नहीं हो जाती, मध्य पूर्व में शांति स्थापित नहीं हो सकती।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मौलाना अक़ील अब्बास मारुफ़ी ने कहा कि हमारी एक ज़िम्मेदारियों यह देखना भी है कि ज़ालिम कौन है और मज़लूम कौन है। उन्होंने कहा कि इस्लाम का यही संदेश है कि मज़हब और आस्था की परवाह किए बिना मज़लूमों की मदद करो। इसलिए हमें फ़िलिस्तीन के मज़लूमों का समर्थन करना चाहिए और ज़ुल्म करने वालों का विरोध करना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन में मौलाना हसनैन बाक़री, मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी, मौलाना मुशाहिद आलम रिज़वी, मौलाना सिब्ते मुहम्मद मशहदी, मौलाना अक़ील अब्बास मारुफ़ी, मौलाना फ़िरोज़ हुसैन, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना तहज़ीबुल हसन, डॉ. हैदर मेहदी, मौलाना वसी आबिदी, मौलाना अकबर मेहदी मौलाना क़मरुल हसन, मौलाना आदिल फ़राज़ और अन्य उलेमा ने भाग लिया।
विरोध प्रदर्शन के बाद ईमेल के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र को पांच सूत्री ज्ञापन भेजा गया, जिसमें गाजा और लेबनान में शांति, मानवीय सहायता के लिए रास्ते खुलवाने और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में युद्ध अपराधों के लिए नेतन्याहू पर मुकदमा चलाने की मांग की गई।
मजलिस उलेमा-ए-हिंद
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