۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
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हौज़ा / जुमाअतुल विदा की नमाज़ के बाद अंतर्राष्ट्रीय कुद्स दिवस के अवसर पर इजरायली बर्बता और फिलिस्तीनी मज़लूमों के समर्थन में असिफी मस्जिद में विरोध प्रदर्शन किया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ, ग़ाज़ा में जारी इजराइली बर्बरता और मजलूम फिलिस्तीनियों के नरसंहार के खिलाफ़ जुमातुल विदा की नमाज़ के बाद आसिफी मस्जिद में मजलिसे उलेमा हिंद द्वारा विरोध प्रदर्शन हुआ। 

अंतरराष्ट्रीय कुद्स दिवस के मौक़े पर आयोजित होने वाले विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने इजरायली बर्बरता और ग़ाज़ा में मारे जा रहे मजलूमो के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया प्रदर्शनकारियों के हाथो में ऐसे बैनर और प्ले कार्ड थे जिनमे इजराइली बर्बरता और अत्याचार के शिकार मासूम बच्चों और औरतों को दिखलाया गया था।

प्रदर्शनकारियों ने इजराइल मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए अरब देशों की कायरता और पाखंड की निंदा की और उनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मजलिसे उलमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना सै० कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि यह हम सभी का कर्तव्य है कि हम मज़लूम फिलिस्तीनियों का समर्थन करें और इजरायली बर्बरता के खिलाफ विरोध की आवाज़ उठाएं।

उन्होंने कहा कि इजराइल की बर्बरता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और तथाकथित अम्न पसंद दुनिया चुप है अमेरिका सहित दुनिया का अधिकांश हिस्सा इज़रायली बर्बरता का समर्थन कर रहा है। 

मौलाना ने कहा कि फिलिस्तीनियों ने बहुत क़ुर्बानियां दीं है, लेकिन जुल्म के सामने सिर नहीं झुकाया, यह सबक उन्होंने कर्बला से सीखा है मौलाना ने कहा कि जहां फिलिस्तीनियों की बहादुरी, त्याग और बलिदान इतिहास में दर्ज दर्ज हो गया है।

वहीं अरब देशों की कायरता और विश्वासघात को इतिहास कभी नहीं भूलेगा।वे उपनिवेशवाद शक्तियों के गुलाम और इस्लाम के सबसे बड़े गद्दार हैं।

 मौलाना ने कहा कि हमारा मुस्लिम मीडिया फिलिस्तीनी मजलूमों का समर्थन करता है लेकिन अरब देशों के अपमान और विश्वासघात को छिपाने की कोशिश करता है क्योंकि ये लोग अभी भी सऊदी अरब जैसे विश्वासघाती देशों से प्रभावित हैं अफ़सोस की बात है कि मीडिया को अरबों का पाखंड और विश्वासघात नज़र नहीं आता।

मौलाना ने तक़रीर के दौरान कहा कि फिलिस्तीनियों ने अकेले अपने लिए क़ुर्बानियाँ नहीं दी है बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान की है। अगर वो हार जाते तो पूरी दुनिया में अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म शुरू हो जाता लेकिन उनकी बहादुरी ने दुनिया को यकीन दिला दिया कि हुसैनी सर कटा सकते हैं लेकिन ज़ुल्म के आगे सर झुक नहीं सकते।

जुमातुल विदा की नमाज़ में मौलाना हसनैन बाकरी ने नमाजियों को फिलीस्तीन के मुद्दे पर जागृत करते हुए कहा कि फिलीस्तीन की जमीन पर इजराइल ने अवैध कब्जा कर रखा है और इस कब्जे के इतिहास से पूरी दुनिया वाकिफ है, लेकिन अफसोस दुनिया के दोग़लेपन ने गाजा को नर्क में बदल दिया आज 20 लाख से ज्यादा की आबादी पर मौत के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन दुनिया खामोश है।

मौलाना सरताज हैदर जैदी ने कहा कि बैत-उल-मुक़द्दस  हमारा पहला किबला है, इसकी पुनः वापसी के लिए हमें एकजुट होकर विरोध करना चाहिए उन्होंने कहा कि इमाम खुमैनी ने रमजान महीने के आखिरी जुमे को ‘कुद्स डे’ मनाने की अपील की थी क्योंकि इस दिन सभी मुसलमान एक मंच पर इकट्ठा होते हैं।

विरोध प्रदर्शन में मौलाना मुशाहिद आलम रिज़वी, मौलाना शबाहत हुसैन रिज़वी, मौलाना मंज़र शफ़ी, मौलाना सलीम अब्बास ज़ैदी, मौलाना सरताज हैदर ज़ैदी, आदिल फ़राज़ नकवी और अन्य उलेमा ने भाग लिया और संयुक्त राष्ट्र को पांच सूत्री ज्ञापन भी भेजा गया।

मांगे:

1.ग़ाज़ा में जारी इज़राइली बर्बरता पर तत्काल कार्रवाई की जाये और इसके बहिष्कार के लिए वैश्विक जनमत जुटाया जाये।

2.ग़ाज़ा के लोग और खास तौर पर बच्चे भुकमरी का शिकार हैं, उन तक राहत सामग्री पहुँचाने की हर मुमकिन कोशिश की जाये।

3.फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार के अपराध में इज़राइल पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुक़दमा चलाया जाये और उसे जंगी मुजरिम घोषित किया जाये ।

4.ग़ाज़ा से इजरायली सैनिकों को बहार निकला जाये और उसके पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करें।

5.बैतुल-मुक़द्दस मुसलमानों का पहला क़िब्ला है, इसे मुसलमानों को सौंपा जाए

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