हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हौज़ा ए इल्मिया कुम के उलेमाओं की जनरल असेंबली ने जन्नतुल बक़ी में मौजूद इमामों (अ.स.) के मुक़द्दस मक़ामात की बेअदबी और उनके रौज़ों की तबाही की सालगिरह पर जो वहाबी-सलफी-तकफ़ीरी गुटों द्वारा अंजाम दी गई थी गहरे दुख और अफसोस का इज़हार करते हुए ताज़ियत पेश की है।
یریدون لیطفئوا نورالله بافواههم والله متم نوره ولو کره الکافرون.( الصف آیه۸)
8 शव्वाल 1344 हिजरी क़मरी को वाहाबी (सलफ़ी तकफ़ीरी) गिरोह ने जन्नतुल बक़ी में मौजूद इमामों अलैहिमुस्सलाम की पवित्र क़ब्रों को शहीद कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने उहुद में मौजूद हज़रत हमज़ा अलैहिस्सलाम की क़ब्र भी गिरा दी।
इसके अलावा इन्होंने जिन मुक़द्दस शख़्सियतों की क़ब्रों को मिटा दिया, उनमें शामिल हैं:
हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ) की मंसूब क़ब्र
हज़रत फातिमा बिन्त असद (स.अ)
हज़रत उम्मुल बनीन (स.अ)
हज़रत इब्राहीम बिन रसूल (स.अ.व.स)
हज़रत इस्माईल बिन इमाम सादिक (अ.स)
रसूल (स.अ.व.स) की बेटियां
हलीमा सादिया (स.अ) रसूल की दाई मां
और रसूल (स.अ.व.स) के दौर के शहीदों की क़ब्रें
इसी तरह 1343 हिजरी में मक्का में भी वहाबी गिरोह ने हज़रत अब्दुल मुत्तलिब, अबू तालिब, हज़रत खदीजा और पैग़ंबर (स.अ.व.स) के पैदाइशी मकान पर बने गुंबद को गिरा दिया।
मदीना में इन्होंने गुंबद ए रसूल (स.अ.व.स) पर भी हमला किया लेकिन मुसलमानों के डर से क़ब्र ए अनवर को मिटा न सके।
उन्होंने बक़ी की क़ब्रों को गिराकर वहां के कीमती सामानों को लूट लिया। इसके बाद उन्होंने कर्बला पर हमला किया, ज़रीह ए मुक़द्दस को उखाड़ दिया और वहां रखे कीमती जेवरात व सामान को लूट लिया। इस हमले में तक़रीबन 7000 उलमा, सय्यद और आम मुसलमानों को शहीद कर दिया।इसके बाद वह लोग नजफ़ की तरफ बढ़े लेकिन वहां नाकाम होकर वापस लौट गए।
जामिया मदरसिन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम इस बड़े जुर्म और मुक़द्दस हस्तियों की बेअदबी की कड़ी मज़म्मत करता है और इस दुखद घटना पर तमाम मोमिनीन, अहलुलबैत (अ.स) के चाहने वालों, मराजय ए तकलीद रहबर ए अज़म हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा इमाम ख़ामेनेई और ख़ास तौर पर हज़रत इमाम ए ज़माना (अ.ज.त.अ.श) की सेवा में ताज़ियत पेश करता है।
हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि जल्द से जल्द इंतेक़ाम लेने वाले, इंसाफ़ लाने वाले हज़रत इमाम मेहदी (अ.ज.त.अ.श) के ज़ुहूर में तआजील फ़रमाए और इस्लाम के तमाम दुश्मनों को खत्म और बर्बाद कर दे।
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