۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
हरमे मासूमा

हौज़ा / अल्लाह का हरम,मक्का है,रसूल स०अ० का हरम मदीना है,अमीरूल मोमिनीन अ०स० का हरम कूफा है और हम अहलेबैत का हरम,क़ुम है। जन्नत के आठ दरवाज़ो में से तीन दरवाज़े कु़म की जानिब खुलते हैं। मेरी औलाद में से एक खातून क़ुम में शहीद होंगी जिनका नाम फातिमा बिनते मूसा अ०स०  होगा और उनकी शिफ़ाअत से हमारे तमाम शिया जन्नत में दाखिल होंगे।

लेखख, सय्यद अली हाशिम आबिदी

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी! मरजए आली कद्र आयतुल्लाहिल उज़मा सय्यद शहाबुद्दीन मरअशी नजफी र०अ० ने बारहा अपने शागिर्दों से बयान फरमाया कि वह नजफे अशरफ से कुमे मुकद्दस कैसे तशरीफ लाए।
आप फरमाते थे कि मेरे वालिद आक़ा सय्यद महमूद मरअशी नजफी र०अ० ने चालीस शब हज़रत अमीरूल मोमिनीन अ०स० के रौज़े मुबारक में बसर किए ताकि मौला की ज़ियारत हो सके। एक शब हालते मुकाशिफा में अमीरूल मोमिनीन अ०स० की ज़ियारत हुई,मौला ने पूछा सय्यद महमूद क्या चाहते हो? तो उन्होंने अर्ज़ किया: हज़रत फातिमा ज़हरा स०अ० की क़ब्रे मुबारक कहां है ताकि मैं उनकी ज़ियारत कर सकूं।अमीरूल मोमिनीन अ०स० ने फरमाया:चूकीं यह उनकी वसीयत है और यह एक राज़ है कि हज़रत फातिमा ज़हरा स०अ० की क़ब्र पोशीदा रहे लिहाज़ा मैं किसी को नहीं बता सकता।मेरे वालिद ने अर्ज़ किया कि फिर हम कैसे उनकी ज़ियारत करें तो मौला ने फरमाया:अल्लाह तआला ने हज़रत फातिमा ज़हरा स०अ० का जलाल व जबरूत हज़रत फातिमा मासूमा स०अ० को अता किया है लिहाज़ा (कुमे मुकद्दस में) उनकी ज़ियारत करो।इस हुक्म के बाद आप कुम तशरीफ ले आए।
(वाज़े रहे कि सिद्दिक़ा ताहिरा हज़रत फातिमा ज़हरा स०अ० की क़ब्रे मुबारक असरार इलाहिया में है। बैतुश शरफ,रौज़तुल जन्ना या जन्नतुल बक़ी की रवायात मिलती हैं लेकिन यकीनी तौर पर जगह मोअय्यन नही की जा सकती।इसी लिए जहां जन्नतुल बक़ी में आपकी ज़ियारत पढ़ने का हुक्म है वहीं रौज़ए रसूल स०अ० में भी है।)
इस वाकिये से बाखूबी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि करीमा ए अहलेबैत हज़रत फातिमा मासूमा स०अ० का मर्तबा कितना अज़ीम है कि अल्लाह तआला ने आपको सिद्दीक़ा ए ताहिरा हज़रत फातिमा ज़हरा स०अ० के कमालात व फ़ज़ाएल का मज़हर करार दिया है। इसके अलावा आईमा मासूमीन अ०स० ने भी मुख्तलिफ मक़ामात पर आपकी अज़मत और फज़ीलत को बयान किया है।
हज़रत इमाम जाफर सादिक़ अ०स० ने फरमाया: अल्लाह का हरम,मक्का है,रसूल स०अ० का हरम मदीना है,अमीरूल मोमिनीन अ०स० का हरम कूफा है और हम अहलेबैत का हरम,क़ुम है। जन्नत के आठ दरवाज़ो में से तीन दरवाज़े कु़म की जानिब खुलते हैं। मेरी औलाद में से एक खातून क़ुम में शहीद होंगी जिनका नाम फातिमा बिनते मूसा अ०स०  होगा और उनकी शिफ़ाअत से हमारे तमाम शिया जन्नत में दाखिल होंगे।
इमाम जाफर सादिक अ०स० ने दूसरे मकाम पर फरमाया: जिसने हज़रत मासूमा स०अ० की मारेफत के साथ ज़ियारत की इसके लिए जन्नत है।
साद बिन साद ने जब इमाम अली रज़ा अ०स० से सवाल किया कि जिसने आपकी ख्वाहरे गिरामी हज़रत मासूमा स०अ० की ज़ियारत की उसको किया सिला मिलेगा?तो इमाम रज़ा अ०स०  ने फरमाया: उसका सिला जन्नत है।
वाज़ेह रहे कि बीबी स०अ० को मासूमा का लक़ब भी खुद इमाम अली रज़ा अ०स० ने अता किया।फरमाया:जिसने क़ुम में मासूमा स०अ० की ज़ियारत की गोया उसने मेरी ज़ियारत की।
जिसका साफ मतलब यह है कि हज़रत मासूमा स०अ० की ज़ियारत हज़रत इमाम अली रज़ा अ०स० की ज़ियारत के मसावी है, आपकी ज़ियारत से ज़ाएर को वही सवाब और फ़ायदा हासिल होगा जो इमाम रज़ा अ०स० की ज़ियारत से मिलता है। जैसा कि रसूले अकरम स०अ० ने हज़रत इमाम अली रज़ा अ०स० के सिलसिले में फरमाया:अंकरीब मेरा पारए जिगर खुरासान में दफन होगा,जो भी परेशाने हाल उसकी ज़ियारत करेगा,अल्लाह उसकी परेशानी दूर करेगा और जो गुनेहगार ज़ियारत करेगा,अल्लाह उसके गुनाह माफ कर देगा। यानि जो भी परेशान हाल या गुनेहगार आपकी ख्वाहरे गिरामी हज़रत फातिमा मासूमा अ०स० की ज़ियारत करेगा तो अल्लाह उसकी मुश्किलात बर तरफ करेगा और गुनाहों को भी माफ कर देगा।
इमामे आली मक़ाम की हदीस की रौशनी में जहां हज़रत मासूमा स०अ० के ज़ाएर पर अल्लाह का यह खास लुत्फ व कर्म होगा कि उसकी परेशानियां खत्म हो जाएंगी और गुनाह माफ हो जाएंगे,वही इमाम अली रज़ा अ०स० की भी इनायात ज़ाएर के शामिले हाल होंगी,जैसा कि इमाम अ०स० ने खुद अपने ज़ाएरो से यह वादा किया है कि मैं तीन मक़ामात पर तुम्हारी मदद करूंगा:
1: नामा ए आमाल के वक्त 
2: पुले सिरात पर
 3: मीज़ान पर
इसी तरह आप की यह खास इनायतें हज़रत मासूमा स०अ० के ज़ाएरो का भी मुकद्दर बनेगी।
मज़कूरा अहादीस की रौशनी में जहां आइमा ए मासूमीन अ०स० की इनायतें ज़ाएरो और शियो को  नसीब होंगी वही खुद करीमा अहलेबैत हज़रत फातिमा मासूमा स०अ० का कर्म भी आपके शियो के शामिले हाल होगा और उन कर्म में सबसे अहम कर्म शिफाअत है। जैसा कि इमाम अली रज़ा अ०स० के तालीम करदा ज़ियारत नामे के मुताबिक़ ज़ाएर, बी बी की खिदमत में अर्ज़ करता है:
ऐ फातिमा!आप मेरी जन्नत के लिए शिफाअत फरमा दें क्योंकि अल्लाह के नजदीक आप की अज़ीम शान है।
बेशक करीमए अहलेबैत की शफाअत पर ही खुशगवार अखर्वी ज़िंदगी का दारो मदार है जिस तरह आपकी करामत पर खुशगवार दुनयवी ज़िंदगी मौक़ूफ है।तमाम शिया आपकी शफाअत ही से जन्नत में जाएंगे। अयातुल्लाह सय्यद मोहम्मद वहीदी बुरक़ई र०अ० फरमाते हैं कि मैं ने ख्वाब में हज़रत फातिमा मासूमा स०अ० की ज़ियारत की और आपसे सवाल किया कि क्या अहले कुम आपकी शिफाअत से जन्नत में जाएंगे?तो आपने फरमाया: अहले क़ुम की शिफाअत के लिए मीरज़ाए कुम्मी र०अ० काफी हैं। मैं तमाम शियों की शिफाअत करूंगी।
खुदाया!करीमए अहलेबैत की मारेफत और कर्म इनायत फरमा और उनकी शफाअत हमारा मुकद्द्र करार दे।अमीन

करीमए अहलेबैत हज़रत फातिमा मासूमा स०अ० 

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