हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, नवी मुंबई / जन्नतुल बक़ीअ के विध्वंस के खिलाफ नवी मुंबई के बहिश्त-ए-ज़हरा (स.अ.) में आयोजित विरोध सभा को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध ख़तीब हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद मोहम्मद ज़की हसन ने इस दर्दनाक घटना की कड़ी निंदा की है।
मौलाना ने कहा कि मदीना मुनव्वरा का प्रसिद्ध क़ब्रिस्तान जन्नतुल बक़ीअ, जहां चार मासूम इमाम (अ.स.) और कुछ रिवायतों के मुताबिक हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ.) का पवित्र मज़ार मौजूद है, आज से लगभग सौ साल पहले एक ऐसे गुमराह गिरोह के हाथों ढहा दिया गया, जिसकी सोच इस्लाम के शुरुआती दौर के नासबी और ख़ारिजी तत्वों से मेल खाती है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह इस्लाम के शुरुआती दौर में अहलेबैत (अ.स.) को क़ैद और शहादत का निशाना बनाया गया, उसी सोच के लोग आज के दौर में इन इलाही प्रतिनिधियों के मज़ारों को मिटाकर अहलेबैत (अ.स.) के ज़िक्र को खत्म करने की नासमझ कोशिशों में लगे हुए हैं।
ऐसे लोग मुसलमानों के बीच 'शिर्क' और 'बिदअत' के नारों की आड़ में इस्लाम के बुनियादी अकीदे को कमज़ोर करके उम्मत के दिमाग में शक और भ्रम पैदा कर रहे हैं।
मौलाना ने ज़ोर देकर कहा कि यह गिरोह सिर्फ अहलेबैत (अ.स.) से दूरी का ही कारण नहीं बन रहा है, बल्कि तौहीद और कुरआन से भी मुसलमानों को दूर करने की नाकाम कोशिश में जुटा हुआ है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लाम के शुरुआती दौर में इस खारिजी सोच को शाम की ग़ासिब हुकूमत का समर्थन हासिल था और आज इसी गुमराह टोली को सऊदी हुकूमत की सरपरस्ती हासिल है, जो इस अपराध में बराबर की शरीक है।
अंत में मौलाना सैयद ज़की हसन ने जन्नतुल बक़ीअ की पुनर्निर्माण की आवाज़ उठाने वाले सच्चे मुसलमानों को क़ैद करने और उन पर ज़ुल्म व सितम ढाने की कड़ी निंदा की हैं।
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