हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा बुरूजर्दी (र) की 66वीं बरसी के अवसर पर क़ुम की मस्जिदे आज़म में ईसाले सवाब की एक मजलिस आयोजित की गई। जिसमें बड़ी संख्या में धर्मगुरूओ, छात्रों, धार्मिक हस्तियों और आम जनता ने भाग लिया।
इस अवसर पर, अपने शिक्षक की मृत्यु पर आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली के आंसुओं ने उपस्थित लोगों के दिलों को छू लिया। यह वही शिक्षक हैं जिनकी मृत्यु को 66 वर्ष हो गए हैं, लेकिन छात्र की आंखें आज भी आंसुओं से भरी हैं।
यह कार्यक्रम मस्जिदे आज़म में आयोजित किया गया। जो कि स्वर्गीय अयातुल्ला बुरूजर्दी की एक यादगार उपलब्धि है और जो हजरत फातिमा मासूमा (स) की पवित्र दरगाह के बगल में स्थित है। कार्यक्रम में आयतुल्लाहिल उज़मा सुब्हानी और जवादी आमोली के अलावा, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हुसैन अंसारियान ने भी बात की।
इस अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम अंसारियन ने इस्लामी शिक्षाओं और मदरसों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा: पवित्र पैग़म्बर (स) और इमामों (अ) ने शिक्षा और प्रशिक्षण की प्रणाली की नींव रखी ताकि धार्मिक ज्ञान आम लोगों तक पहुंच सके।
फतवों के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने मरहूम मिर्जा शिराजी के तम्बाकू के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले फतवे का उदाहरण दिया, जिसने ब्रिटेन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया और ईरान में धार्मिक क्रांति की नींव रखी।
यह उल्लेखनीय है कि इस समारोह में अनेक धर्मगुरू, क़ुम के गवर्नर, मजलिसे खुबरेगान रहबरी के सदस्य तथा विभिन्न विचारधाराओं के लोग शामिल हुए, जो अपने महान मरजा और विधिवेत्ता की याद में उपस्थित थे तथा मरजेय्यत को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि इस बरसी के समारोह के दौरान वह क्षण अत्यंत मार्मिक था जब आयतुल्लाह जवादी आमोली ने अपने शिक्षक की याद में आंसू बहाए। क्योंकि यह न केवल एक भावनात्मक क्षण था, बल्कि हौज़ा में शिक्षक और छात्र के बीच पवित्र रिश्ते का प्रतिबिंब भी था।
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