हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इमाम ए जुमआ यज़्द ने कहां, जो कि प्रांत में सर्वोच्च धार्मिक नेता भी हैं ने 12-दिवसीय इजरायल-हमास युद्ध के दौरान ईरान की भूमिका के परिणामों और उससे उत्पन्न आध्यात्मिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए राष्ट्रीय एकता और दुश्मन के सांस्कृतिक हमले का मुकाबला करने पर ज़ोर दिया।
उन्होंने कहा कि इस घटना ने दुश्मन के नकारात्मक प्रचार और मीडिया तथा सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई गई गलत धारणाओं को नष्ट कर दिया जो एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने इस आध्यात्मिक परिवर्तन के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी को आवश्यक बताया और समाज में क्रांति के विभिन्न पहलुओं को समझाने पर बल दिया।
आयतुल्लाह नासिरी ने दुश्मनों द्वारा ईरान को विभाजित करने और विभिन्न जातीय समूहों के बीच फूट डालने की योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि पश्चिम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करना है और वे यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि सभी समस्याओं का समाधान पश्चिम पर निर्भरता में है।
उन्होंने यह भी कहा कि दुश्मन इमाम मेहदी की अवधारणा के विरोध में हैं और इस विश्वास को समाज में फैलने से रोकने की योजना बना रहे हैं। अंत में, उन्होंने सांस्कृतिक अधिकारियों से इस्लामी मूल्यों और इमाम मेहदी की शिक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्तापूर्ण सामग्री तैयार करने का आग्रह किया।
आपकी टिप्पणी