हौज़ा इल्मिया क़ुम की सौ वर्षों की सेवाओं पर आयोजित सम्मेलन/दीनी मदारिस में प्रगति का नया अध्याय

हौज़ा / इस्लामी गणराज्य ईरान के धार्मिक विद्यालयों के प्रमुख ने कहा,हौज़ा इल्मिया क़ुम की सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित यह सम्मेलन क़ुम के हौज़ा में एक नई तरक़्क़ी का संकेत है।साथ ही इस सम्मेलन के लिए रहबर-ए-मुअज़्ज़म का भेजा गया संदेश, न सिर्फ क़ुम बल्कि पूरे देश के धार्मिक मदरसों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम (ईरान) में आयतुल्लाह अली रज़ा अराफ़ी ने हौज़ा इल्मिया क़ुम की सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तहत इमाम काज़िम अ.स. मदरसा के हॉल में "बीते सदी में तबलीग़ी व इल्मी आयोग" की बैठक को संबोधित करते हुए कहा,हौज़ा इल्मिया क़ुम ने 14वीं हिजरी सदी से पहले और बाद में कुल मिलाकर छह छह विकास के चरण पूरे किए हैं यह भव्य आयोजन हौज़ा की प्रगति के सातवें चरण की निशानी है।

उन्होंने आगे कहा,रहबर-ए-मुअज़्ज़म का इस सम्मेलन के लिए भेजा गया संदेश न सिर्फ क़ुम, बल्कि पूरे देश के दीनदार संस्थानों के लिए एक व्यापक रणनीति प्रदान करता है।

इस संदेश में पांच मुख्य ज़िम्मेदारियाँ बताई गई हैं, जो आज के दीनी मदरसों की नई जिम्मेदारियाँ हैं इन पांच बिंदुओं में रहबर ने 50 से अधिक मार्गदर्शक सुझाव दिए हैं।

मुख्य बातें जो आयतुल्लाह अराफ़ी ने स्पष्ट कीं,तबलीग़ (धार्मिक प्रचार) को सबसे अहम स्थान प्राप्त है।तबलीग़ तभी प्रभावी होगी जब हम आज के दौर की वैचारिक और सांस्कृतिक स्थिति को अच्छी तरह समझें।अगर हम युवाओं की सोच और झुकाव को न समझें, तो सही मार्गदर्शन नहीं कर पाएंगे।

रहबर के सुझाए बिंदु जिन पर विशेष ज़ोर दिया गया,मजबूत और प्रमाणिक सामग्री तैयार करना,आवश्यक प्रचार-कौशल हासिल करना,तकनीक का प्रभावी उपयोग,पश्चिमी सोच की आलोचनात्मक समीक्षा,स्थितियों की बारीकी से निगरानी,आकर्षक और असरदार प्रचार पैकेज तैयार करना,सक्रिय, सकारात्मक शैली अपनाना,दार्शनिक और गहरा बचाव,सांस्कृतिक संघर्ष में भागीदारी,मुबल्लिग़ की व्यक्तिगत आत्म-सुधार और प्रशिक्षण,युवाओं की वैश्विक दृष्टिकोण से पहचान

आख़िर में, आयतुल्लाह अराफ़ी ने ज़ोर देकर कहा,हमें अपने भीतर तबलीग़ और तबीइन का जज़्बा पैदा करना चाहिए और इन महान लक्ष्यों के लिए सामूहिक संकल्प, गहरी प्रतिबद्धता, और पूर्ण सहयोग ज़रूरी है।

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