सोमवार 12 मई 2025 - 22:04
रहबर-ए-मुअज़्ज़म का हौज़ा इल्मिया के नाम पैग़ाम एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक और बहुआयामी घोषणापत्र है

हौज़ा / तेहरान में हौज़ा ए इल्मिया की काउंसिल के प्रमुख ने कहा, रहबर-ए-मुअज़्ज़म-ए-इंक़ेलाब आयतुल्लाह खामेनेई का वह संदेश जो हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम की पुनः स्थापना की सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर पेश किया गया एक घोषणापत्र, बयान और एक महान, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, वैचारिक, वैज्ञानिक, शैक्षिक और राजनीतिक दस्तावेज़ है जिसकी व्यापकता असाधारण है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, सांस्कृतिक क्रांति की सर्वोच्च परिषद के सदस्य उस्ताद अली अकबर रेशाद ने अपने दर्स-ए-ख़ारिज़ में छात्रों की सभा को संबोधित करते हुए कहा, पिछले दिनों हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम जैसे पुराने, गहरे और मज़बूत संस्थान में एक बहुमूल्य और महत्वपूर्ण घटना घटित हुई।

जिसे एक ऐतिहासिक मोड़ कहा जा सकता है ख़ास तौर पर इसलिए कि इस अवसर पर एक हकीम, दूरदर्शी और व्यापक दृष्टिकोण रखने वाले रहबर की ओर से एक घोषणापत्र जारी किया गया।

उन्होंने कहा ,रहबर-ए-इंक़िलाब इस्लामी का पैग़ाम वास्तव में एक ऐसा बयान और घोषणापत्र है जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, वैचारिक, शैक्षिक और राजनीतिक आयामों से भरपूर है। यदि इस पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए और इसके नतीजों को अमल में लाया जाए तो यह हौज़ा के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ बन सकता है।एक ऐसा मोड़ जो अतीत और भविष्य के बीच एक अंतर पैदा कर सकता है और एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।

सांस्कृतिक क्रांति की इस सर्वोच्च परिषद के सदस्य ने हौज़ा की ओर से इस घोषणापत्र पर ध्यान देने और उसे लागू करने को ज़रूरी बताया और कहा, अगर इस महान और व्यापक दस्तावेज़ को अमल में लाया जाए तो हौज़ा एक आधुनिक और उन्नत संस्थान बन सकता है, और पिछले आधे शताब्दी में जो प्रगति हुई है, वह इस घोषणापत्र के लागू होने के बाद कई गुना बढ़ सकती है।

उन्होंने इस परिवर्तन के लिए आवश्यक शर्तों का ज़िक्र करते हुए कहा, हौज़ा को प्रभावशाली और गतिशील बनाने के लिए ज़रूरी है कि इसे उपयोगी और समकालीन वर्तमान समय के अनुरूप बनाया जाए।

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