हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जामिआतु अल-मुस्तफा अल-आलमिया के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने क़ुम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन "हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की पुनःस्थापना की 100वीं वर्षगांठ और आयतुल्लाहुल उज़मा हायरी यज़दी के सम्मान" के अवसर पर "हौज़ा और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य" विषय पर बातचीत करते हुए कहा, हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, शिया हौज़ों की ऐतिहासिक कड़ी का अंतिम और महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में अत्यंत मूल्यवान सेवाएं अंजाम दी हैं।
उन्होंने आगे कहा,यह हौज़ा एक गहरे और मज़बूत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का धनी है जब अशअरी परिवार ने क़ुम की ओर हिजरत की और एक बरकतों से भरे इल्मी मदरसे की बुनियाद रखी, तबसे इसका विकास जारी रहा। लेकिन जो कुछ पिछले सौ वर्षों में घटित हुआ है, वह असाधारण महत्व का है और इसे अन्य सभी युगों से विशिष्ट बनाता है।
जामिआतु अल मुस्तफा अल-आलमिया के संरक्षक ने कहा,पिछले एक सदी में जो ज्ञान और व्यवहारिक प्रगति हुई है वह बेमिसाल है, और खासकर इस्लामी क्रांति के बाद यह प्रगति अत्यंत आश्चर्यजनक रही है।
उन्होंने कहा,जामिआतु अल-मुस्तफा, इस्लामी क्रांति के बाद हौज़ा की सबसे कीमती उपलब्धियों में से एक है। हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने उन इस्लामी विशेषज्ञ विषयों में प्रवेश किया जिन पर पहले कम ध्यान दिया गया था जैसे तफ़्सीर, कलाम, इतिहास, दर्शन आदि और यह इसकी पिछली पचास वर्षों की विशेषताओं में शामिल है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने कहा, धर्म इस्लाम संपूर्ण मानवता के लिए है, क्योंकि कुरआन करीम ने पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वआलिह वसल्लम को पूरी दुनिया के लिए नबी स.ल.व. घोषित किए है। इसलिए, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण इस्लाम और इस्लामी आध्यात्मिकता की प्रकृति और संरचना में समाहित है।
जामिआतु अलमुस्तफा के संरक्षक ने कहा,हम दुनिया और मानवता के लिए इस्लामी सभ्यता और संस्कृति के ध्वजवाहक हैं। हौज़ा ए इल्मिया की ज़िम्मेदारी है कि वह एक ऐसी सभ्यता प्रस्तुत करे, और मानविकी विज्ञानों को, जो सांस्कृतिक और सभ्यतागत दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, मूलभूत धार्मिक आधारों के साथ पुनः पढ़ाए और पेश करे। यही वह दिशा है जिसमें हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने विशेष रूप से पिछले पचास वर्षों में कदम बढ़ाया है।
उन्होंने कहा, अल्लामा मिस्बाह यज़दी ने इस सोच को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसी उद्देश्य के लिए संस्थाएं स्थापित कीं। जामिआतु अलमुस्तफा भी इसी इल्मी यात्रा का हिस्सा बना और मानविकी विज्ञानों को एक ईश्वरीय दृष्टिकोण से पेश कर रहा है।
उन्होंने यह भी बताया आज हमारे पास एक विशेष भाषायी और साहित्यिक शिक्षण संस्थान मौजूद है जहाँ 22 भाषाओं की शिक्षा दी जाती है। इसमें ऑनलाइन शिक्षा, शॉर्ट कोर्सेज आदि भी शामिल हैं।
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