हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मजलिस-ए-ख़ुबर्गान-ए-रहबरी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य आयतुल्लाह अब्बास का़बी ने कहा, आयतुल्लाहिल उज़मा हाज शेख अब्दुलकरीम हायरी (रह.) ने हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम की नवी तासीस (पुनः स्थापना) और जदीद बुनियादों पर ख़ास तौर पर इज्तेहाद की बुनियाद पर सब्र, बर्दाश्त और अल्लाह पर भरोसे के साथ की।
उन्होंने कहा, हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम ही इमाम ख़ुमैनी (रह.) के चमकते सूरज के तोलू की जगह बना और इस्लामी इंक़ेलाब की महान तहरीक की बुनियाद बना। इस नज़रिए से, इस्लामी क्रांति दरअसल हौज़ा-ए-इल्मिया और आयतुल्लाह हायरी की इल्मी व दीनी कोशिशों का फल है।
आयतुल्लाह का़बी ने कहा,रहबर-ए-मुअज्ज़म आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई द्वारा हौज़ा-ए-इल्मिया की पुनः स्थापना के सौ साल पूरे होने पर दिया गया पैग़ाम, हौज़ा की तहज़ीबी तहरीक के ज़रूरी पहलुओं को वाज़ेह करता है।
उन्होंने आगे कहा,इस तहज़ीबी मंसूबे को अमल में लाना सिर्फ हौज़ा-ए-इल्मिया की वसीअ इल्मी व फिक्री सलाहियतों, जवाहिरी इज्तेहाद, समय और स्थान की ज़रूरतों की समझ और इस्लामी उसूलों पर आधारित समाजी निज़ाम के ज़रिए ही मुमकिन है।
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