हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हौज़ा इल्मिया क़ुम की शताब्दी पर कुछ अहम उपलब्धियों की ओर इशारा किया और कहा,पिछले सौ सालों में हौज़ा इल्मिया क़ुम को इस्लामी दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शैक्षिक, सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्रों में गिना जाता है। इसने धार्मिक सोच के विकास, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों की तालीम-ओ-तर्बियत और आधुनिक ज़रूरतों का जवाब देने में एक बेमिसाल किरदार अदा किया है।
उन्होंने आगे कहा, इस हौज़ा ने शिया धार्मिक विरासत से लाभ उठाते हुए आज के दौर में विचारात्मक चेतना और ताज़गी के लिए एक प्रभावी वातावरण प्रदान किया हौज़ा इल्मिया क़ुम के इतिहास में एक अहम मोड़ वह था जब सन 1301 हिजरी शम्सी (1922 ई.) में आयतुल्लाह शैख़ अब्दुलकरीम हायरी यज़दी ने क़ुम की ओर हिजरत की। उसी के साथ हौज़ा का पुनरुद्धार और शिक्षण ढांचे की पुनर्संरचना शुरू हुई।
इमाम ए जुमआ मिश्कात ने आगे कहा,आयतुल्लाह हायरी यज़दी ने दूसरे प्रमुख उलेमा और क़ुम के धार्मिक जनता की मदद से अथक प्रयासों द्वारा एक संगठित और सक्रिय हौज़ा की नींव रखी उन्होंने कई धार्मिक विद्यालयों की स्थापना की,एक व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली तैयार की और हौज़ा की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत किया।इन प्रयासों के नतीजे में हौज़ा इल्मिया क़ुम धीरे धीरे शिया धार्मिक शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र बन गया।
उन्होंने हौज़ा इल्मिया क़ुम से पढ़े गए प्रभावशाली व्यक्तित्वों की इस्लामी दुनिया में असर की ओर इशारा करते हुए कहा,पिछली सदी में हौज़ा इल्मिया क़ुम ने इस्लामी दुनिया को कई महान उलेमा और समकालीन धार्मिक विचारकों से नवाज़ा है जिनमें सबसे प्रमुख हैं इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह जो एक फक़ीह फ़लसफ़ी (दार्शनिक) और क्रांतिकारी नेता थे। उन्होंने एक ऐसी आंदोलन की बुनियाद रखी जो अंततः इस्लामी गणराज्य ईरान की स्थापना पर समाप्त हुई।
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