मंगलवार 3 जून 2025 - 05:00
हंसना भी सवाब है, अगर मजाक बे गुनाह हो

हौज़ा/ इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) ने एक हदीस में बे गुनाह मज़ाक की ओर इशारा किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत ‘उसुल अल-काफ़ी’ किताब से ली गई है।

امام محمد باقر عليه‌السلام:

اِنَّ اللّه‏َ عَزَّوَجَلَّ یُحِبُّ المُداعِبَ فِی الجَماعَةِ بِلارَفَثٍ

इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) ने फ़रमाया:

अल्लाह उस व्यक्ति को पसंद करता है जो लोगों के बीच मज़ाक करता है, बशर्ते कि इसमें कोई गुनाह या बुराई शामिल न हो।”

उसुल अल-काफ़ी, भाग 2, पेज 345

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