गुरुवार 10 जुलाई 2025 - 16:51
गिरया व अज़ादारी; सत्य के मोर्चे से जुड़ाव और बातिल के मोर्चे से जंग का ऐलान है

हौज़ा / कर्बला के शहीदों पर आँसू बहाना सिर्फ शोक मनाना नहीं, बल्कि वाक़िया-ए-आशूरा के साथ एक गहरा और सचेतन रिश्ता स्थापित करना है।शहीद मोत्तहरी के अनुसार,रोना और मातम, सत्य के मोर्चे से जुड़ाव और असत्य के मोर्चे से युद्ध की घोषणा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन जवाद मोहद्देसी ने हौज़ा न्यूज़ के लिए एक विशेष लेख में आशूरा की शिक्षाएं पर प्रकाश डाला है, जो रोज़ाना दिलचस्पी रखने वाले पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। 

اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ یَا أَبَا عَبْدِاللّٰهِ الْحُسَیْن علیہ‌السلام

आशूरा और कर्बला के शहीदों के शोक में आँसू इस खूनी संघर्ष और घटना की मार्मिकता का एक संदेश है। 

शहीद मोत्तहरी के अनुसार यज़ीदी अत्याचार और ज़ुल्म के माहौल में हुसैनी काफ़िले में शामिल होना और शहीदों पर रोना, अहले हक़ से जुड़ाव की घोषणा और बातिल (असत्य) के मोर्चे के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा है बल्कि वास्तव में, यह एक तरह की कुर्बानी है। इमाम हुसैन (अ.स.) का मातम एक तहरीक है, एक लहर है, एक सामाजिक संघर्ष है।

इसीलिए, हमारे आइम्मा अ.स.ने भी ज़ोर देकर कहा है कि आशूरा के दिन और पूरे साल इमाम हुसैन (अ.स.) पर रोएँ, उनके ग़म में मातम मनाएँ, एक-दूसरे को ताज़ियत पेश करे। साथ ही कर्बला के शहीदों पर रोने के अनगिनत सवाब बयान किए गए हैं।

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