गुरुवार 10 जुलाई 2025 - 19:48
कर्बला की घटना मे इमाम हसन मुज्तबा (अ) के बेटों की संख्या और क़ुर्बानीया

हौज़ा/कर्बला की लड़ाई इस्लामी इतिहास की एक ऐसी घटना है जिसमें इस्लाम धर्म के अस्तित्व के लिए पैग़म्बर (स) के परिवार के अमर बलिदानों और बहादुरी की कहानियाँ सदियों से सुनाई जाती रही हैं। इस महान युद्धक्षेत्र में, इमाम हुसैन (अ) और उनके परिवार ने अपनी जान जोखिम में डाली। इनमें अली (अ) का परिवार, अकील का परिवार, जाफ़र का परिवार, इमाम हसन (अ) के वंशज और इमाम हुसैन (अ) के बेटे शामिल हैं।

लेखक: मौलाना मुहम्मद बशीर दौलती

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी |

कर्बला की लड़ाई इस्लामी इतिहास की एक ऐसी घटना है जिसमें इस्लाम धर्म के अस्तित्व के लिए पैग़म्बर (स) के परिवार के अमर बलिदानों और बहादुरी की कहानियाँ सदियों से सुनाई जाती रही हैं। इस महान युद्धभूमि में इमाम हुसैन (अ) और उनके परिवार ने उनके साथ अपनी जान जोखिम में डाली। इनमें अली (अ) का परिवार, अकील (अ) का परिवार, जाफ़र (अ) का परिवार, इमाम हसन (अ) की संतानें और इमाम हुसैन (अ) के बेटे शामिल हैं।

लेकिन ज़्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि इमाम हसन (अ) के कई बेटे भी इस युद्ध में मौजूद थे और उन्होंने भी कर्बला की कुर्बानियों में हिस्सा लिया था। इस लेख में, हम इमाम हसन (अ) के बेटों की संख्या और उनकी कुर्बानियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करेंगे।

इमाम हुसैन (अ) और हज़रत क़ासिम (अ) के बीच प्रेम का विशेष कारण

कुछ क़ुरआनियों, धर्मोपदेशकों और विद्वानों का कहना है कि इमाम हसन (अ) ने हज़रत क़ासिम (अ) को एक पत्र या ताबीज़ दिया था, जिसमें लिखा था कि जब मुश्किल वक़्त आए, तो इसे खोल देना। कर्बला में हज़रत क़ासिम (अ) को उनकी युवावस्था और इमाम हसन (अ) से विशेष समानता के कारण युद्ध करने की अनुमति नहीं थी, लेकिन जब हज़रत क़ासिम ने यह पत्र खोला, तो इमाम हसन (अ) ने पत्र में लिखा था, "भाई हुसैन, कर्बला में मेरी ओर से क़ासिम की क़ुरबानी स्वीकार करें।"

यह पत्र देखने के बाद, इमाम हुसैन (अ) ने हज़रत क़ासिम (अ) को युद्ध करने की अनुमति दे दी।

मैं इस घटना के घटनाक्रम पर चर्चा नहीं करना चाहता, बल्कि मेरा उद्देश्य इमाम हसन (अ) के कई बेटों की उपस्थिति को स्पष्ट करना है।

हज़रत कासिम से जुड़ी इस घटना को सुनकर, कुछ लोग सोचते हैं कि हज़रत कासिम (अ) कर्बला में इमाम हसन (अ) के इकलौते बेटे थे, जो कि सच नहीं है।

कर्बला में इमाम हसन मुज्तबा (अ) के बेटे और उनकी संख्या

इमाम हसन (अ) के बेटों की संख्या का वर्णन ऐतिहासिक पुस्तकों में अलग-अलग तरीकों से किया गया है। इतिहासकारों के अनुसार, इमाम हसन (अ) के बेटों की कुल संख्या लगभग बीस थी, जिनमें से कई कर्बला में मौजूद थे।

इनमें से कुछ प्रसिद्ध बेटे हैं: हज़रत ज़ैद (रज़ि.), हज़रत हसन अल-मुथन्ना (रज़ि.), हज़रत कासिम (रज़ि.), हज़रत अहमद बिन हसन, हज़रत अबू बक्र बिन हसन, हज़रत अब्दुल्ला अकबर। हज़रत बिश्र बिन हसन। हज़रत अम्र बिन हसन और हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन आदि।

हज़रत ज़ैद (रज़ि.) इमाम हसन मुज्तबा (अ) के सबसे बड़े बेटे थे, जो कर्बला में मौजूद नहीं थे।

हज़रत हसन अल-मुसन्ना (रज़ि.) का विवाह फ़ातिमा सुग़रा (रज़ि.) से हुआ था, जो कर्बला की विपत्तियों के दौरान पवित्र शहर के लोगों के साथ थीं। हज़रत हसन अल-मुसन्ना (रज़ि.) एकमात्र घायल व्यक्ति थे, जिन्हें उनके रिश्तेदार कूफ़ा ले गए और ठीक होने पर मदीना वापस लौट आए।

हज़रत कासिम (रज़ि.) दो या तीन साल के थे जब इमाम हसन (अ) शहीद हुए। कर्बला की घटना के समय उनकी आयु तेरह वर्ष थी और उनका पालन-पोषण इमाम हुसैन (अ) ने किया था। उनकी शक्ल इमाम हसन (अ) से विशेष समानता थी और उन्हें इमाम हुसैन (अ.स.) से विशेष प्रेम था।

कर्बला में इमाम हसन मुज्तबा के बेटों की कुर्बानियाँ

इतिहासकारों के अनुसार, कर्बला में शहीद हुए इमाम हसन (अ) के बेटों की संख्या अलग-अलग है:

शेख मुफीद (र) के अनुसार, उनके तीन बेटे शहीद हुए।

मुहद्दिस कुम्मी और अल्लामा मोहसिन अमीन ने यह संख्या चार बताई है।

अल्लामा मजलिसी ने पाँच बेटों का ज़िक्र किया है।

कर्बला में शहीद हुए कुछ बेटों के नाम इस प्रकार हैं:

हज़रत हसन मुसन्ना, हज़रत अहमद बिन हसन, हज़रत अबू बक्र बिन हसन, हज़रत कासिम बिन हसन, हज़रत अब्दुल्लाह अकबर, हज़रत अब्दुल्लाह असगर, हज़रत बिश्र बिन हसन और हज़रत अम्र बिन हसन।

हज़रत हसन मुसन्ना आशूरा के दिन घायल हो गए थे, लेकिन बच गए। उनका कूफ़ा में इलाज हुआ और बाद में वे मदीना लौट आए। अम्र बिन हसन ग्यारह साल का था और कर्बला में मौजूद था और बाद में उसे पकड़ लिया गया।

निष्कर्ष

इमाम हसन मुज्तबा (अ) के कम से कम चार और ज़्यादा से ज़्यादा सात बेटे कर्बला में शहीद हुए। हज़रत कासिम (अ) की पहचान इमाम हुसैन (अ) के प्रति उनके प्रेम और शहादत के प्रति समर्पण से थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे शहीद होने वाले एकमात्र बेटे थे।

विद्वानों और ज़ाकिरीन को काल्पनिक घटनाओं के बजाय तथ्यों पर ज़ोर देना चाहिए ताकि कर्बला के लोगों की सच्ची बहादुरी और बलिदान युवाओं के लिए एक आदर्श बन सके।

हवाला:

1. इरशाद, शेख मुफ़ीद

2. आयान उश शिया, मोहसिन अमीन आमोली

3. बिहार उल अनवार,  अल्लामा मजलिसी

4. लहूफ़, सैय्यद इब्न ताऊस

5. मकतल मुकर्रम, अब्दुल रज्जाक मूसवी मुकर्रम

6.मुहद्दीस कुम्मी, नफ्स अल-महमूम

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