۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
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हौज़ा / कर्बला के शहीदों की याद में 14 मोहर्रम को उतरौला के ग्राम अमया देवरिया में हज़रत अब्बास से गमगीन माहौल में 72 ताबूतों का जुलूस निकाला गया। 

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,उतरौला,कर्बला के शहीदों की याद में 14 मोहर्रम को उतरौला के ग्राम अमया देवरिया में हज़रत अब्बास से गमगीन माहौल में 72 ताबूतों का जुलूस निकाला गया। 

जुलूस में बड़ी संख्या में अजादार शामिल हुए जुलूस से पूर्व दरगाह हज़रत अब्बास पर अंजुमन ए हुसैनिया के बैनर तले एक मजलिस हुई।

मजलिस को मौलाना ज़ायर अब्बास ने खिताब किया मजलिस का आगाज़ तिलावते कलामे पाक से किया गया अली अम्बर रिज़वी, साजिब रिज़वी, आलम मेहंदी, मीसम उतरौलवी, सदाकत उतरौलवी, मोनिस रिज़वी, कामिल हाशमी ने अपना कलाम पेश किया।

मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ज़ायर अब्बास ने कहा कि अल्लाह के नज़दीक मेयारे इज़्ज़त तालीम है, जिहाद है, ईमान है, और खौफे परवरदिगार है।

खौफे परवर दिगार सबसे ज़्यादा कर्बला वालों में पाया जाता था। अंत में मौलाना ने कर्बला के 72 शहीदों पर आई मुसीबतों का ज़िक्र किया तो सोगवारों की आंखें नम हो गईं इस दौरान हजरत इमाम हुसैन की चार साल की बेटी सकीना की कैद खाने में शहादत का ज़िक्र भी किया  जिसको सुनकर  लोग रोने लगे।

मजलिस के बाद कर्बला के शहीदों की याद में 72 ताबूत शबीहे व ज़ुलजना की ज़ियारत कराई गई। जिसमें इमाम हुसैन उनके 18 बरस के बेटे जनाबे अली अकबर, 11 बरस के भतीजे हजरत कासिम नौ और 11 बरस के भांजे औन व मोहम्मद के ताबूतों के साथ ही इमाम के छह माह के शीरख्वार अली असगर का झूला भी मौजूद था। जिसका तार्रुफ मौलाना जमाल हैदर हल्लौरी ने कराया।

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