रविवार 27 जुलाई 2025 - 15:06
हज़रत इमाम हुसैन अ.स. के गम में रोना इबादत और सुन्नते मुस्तफा स.अ.व.व.है।मौलाना राना मुहम्मद इदरीस

हौज़ा / मिन्हाजुल कुरआन पाकिस्तान के डिप्टी नाज़िम-ए-आला मौलाना राना मुहम्मद इदरीस ने जामिया शेख उल इस्लाम में जुमा के ख़ुत्बा देते हुए कहा कि जो व्यक्ति मुहब्बत-ए-रसूल स.अ.व.व.का दावा करे लेकिन अहले बैत (अ.स.) के नक्शे-ए-क़दम पर न चले, उसका दावा अधूरा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मिन्हाजुल कुरआन पाकिस्तान के डिप्टी नाज़िम-ए-आला मौलाना राना मुहम्मद इदरीस ने जामिया शेख उल इस्लाम में जुमा के ख़ुत्बा देते हुए कहा कि जो व्यक्ति मुहब्बत-ए-रसूल स.अ.व.व.का दावा करे लेकिन अहले बैत (अ.स.) के नक्शे-ए-क़दम पर न चले, उसका दावा अधूरा है। 

उन्होंने कहा कि अहले बैत (अ.स.) की मुहब्बत पूरी उम्मत-ए-मुस्लिमा के ईमान का हिस्सा है। इसी मुहब्बत के ज़रिए हम फिर्क़ावारियत, नफ़रत और अंतराज़ी को ख़त्म कर सकते हैं।

मौलाना इदरीस ने कहा कि अहले बैत अतहार (अ.स.) की मुहब्बत और अक़ीदत क़ुरबत-ए-इलाही का सबसे बेहतरीन ज़रिया है। अल्लाह तआला ने अहले बैत की मुहब्बत को ईमान का हिस्सा और उनके नक्शे-ए-क़दम पर चलने को अमल-ए-सालेह क़रार दिया है। क़ुरआन ए मजीद में इरशाद है,ऐ हबीब (स.अ.व.)कह दीजिए कि अगर तुम अल्लाह से मुहब्बत करते हो तो मेरी इत्तेबा (पालन) करो। 

मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन (अ.स.) के गम में रोना इबादत और सुन्नते मुस्तफा (स.अ.व.) है।उन्होंने बताया कि हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) की विलादत के वक़्त ही हज़रत जिब्राईल (अ.स.) ने नबी-ए-अकरम (स.अ.व.) को कर्बला की घटना की ख़बर दे दी थी।

हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत ने दुनिया को बता दिया कि इस्लाम एक कामिल ज़ाबिता-ए-हयात है, और जब दीन की हिफ़ाज़त का वक़्त आए तो हज जैसी इबादत भी टाली जा सकती है।

उन्होंने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन अ.स.की कुर्बानी ने उम्मत को यह सबक़ दिया कि दीन-ए-मुहम्मदी (स.अ.व.) की हिफ़ाज़त सबसे बड़ी इबादत है आज ज़रूरत इस बात की है कि हम मुहब्बत-ए-अहले बैत को मर्कज़-ए-वहदत (एकता का केंद्र) बनाएं। 

इस मौके पर उन्होंने मुसलमानों से एकता और भाईचारे का आह्वान किया और कहा कि अहले बैत (अ.स.) की मुहब्बत ही हमें असली इस्लामी तहज़ीब और रहनुमाई प्रदान कर सकती है।

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