शनिवार 1 मार्च 2025 - 11:21
नमाज़ के बिना हमारे आमाल की कोई हैसियत नहीं है।हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना वसी हसन ख़ान

हौज़ा / हरम ए इमाम अली रज़ा अ.स.के रवाक ग़दीर में मशहूर ख़तीब मौलाना वसी हसन ख़ान ने मजलिस ए अज़ा को ख़िताब किया जिसमें उन्होंने इमाम रज़ा अ.स.की सीरत-ए-तैय्यबा फज़ाएल और तालीमात पर तफ्सील से रौशनी डाली।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,मशहदे मुकद्दस / हरम ए इमाम अली रज़ा अ.स.के रवाक ग़दीर में मशहूर ख़तीब मौलाना वसी हसन ख़ान ने मजलिस ए अज़ा को ख़िताब किया जिसमें उन्होंने इमाम रज़ा अ.स.की सीरत-ए-तैय्यबा फज़ाएल और तालीमात पर तफ्सील से रौशनी डाली।

मौलाना वसी हसन ख़ान ने अपने बयान में नमाज़, ज़कात, सदक़ा और अमानतदारी का ज़िक्र करते हुए कहा कि,अगर हमारे आमाल में नमाज़ नहीं है तो हमारे आमाल की कोई हैसियत नहीं है।उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नमाज़ बंदगी की रूह है और इमाम रज़ा अ.स.की हयात-ए-तैयबा में इबादत को बुनियादी हैसियत हासिल थी।

मौलाना वसी हसन ख़ान ने अपने ख़िताब में इमाम रज़ा अ.स.की इल्मी अज़मत, हिल्म, करम और उनकी बे-मिसाल इबादतों को उजागर किया उन्होंने फ़रमाया कि इमाम की ज़िंदगी का हर लम्हा इबादत, तक़वा और उम्मत की रहनुमाई में गुज़री इस हवाल से उन्होंने एक अहम नुक्ता बयान करते हुए कहा,हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारा कुछ नहीं, बल्कि सब कुछ ख़ुदावंदे मुतआल का अता किया हुआ है।

मौलाना वसी हसन ख़ान ने अमानतदारी और सदक़े के हवाले से कई तारीखी वाक़ियात भी बयान किए और कहा कि अहले बैत अ.स.की सीरत पर अमल करने में ही हमारी नजात है।उन्होंने हाज़िरीन को मुख़ातिब करते हुए कहा,हमारे आमाल और अहले बैत अ.स. के आमाल में ज़मीन-ओ-आसमान का फ़र्क़ है।

मौलाना वसी हसन ख़ान ने ज़ियारत-ए-इमाम रज़ा अ.स. की बरकतों, उसके रूहानी असरात और अहले बैत अ.स.के रौज़ों पर हाज़िरी के बाद सही ज़िंदगी गुज़ारने के तरीक़ों पर भी रोशनी डाली।

उन्होंने ज़ायरीन को नसीहत करते हुए कहा कि ज़ियारत का असल मक़सद इमाम की सीरत को अपनाना और उनकी तालीमात को अपनी अमली ज़िंदगी में लागू करना है।

मजलिस में भारत-पाकिस्तान के ज़ायरीन की एक बड़ी तादाद मौजूद थी जो अक़ीदत और मोहब्बत के साथ इस बसीरत-अफ़रोज़ बयान को सुन रही थी ज़ायरीन ने मौलाना वसी हसन ख़ान का शुक्रिया अदा करते हुए इस इल्मी और रूहानी मजलिस को बेहद असरदार क़रार दिया।

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