हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इमाम सज्जाद (अ) ने शम (सीरिया) में यज़ीद के दरबार में एक महत्वपूर्ण खुतबा दिया था, जो क़र्बला के बाद क़ैदीयो के शम में होने के दिनों के अंत में पेश किया गया माना जाता है। इस खुतबे से पहले यज़ीद ने अपने आदेश से ख़तीब को मिम्बर से ऐसा भाषण देने को कहा था जिसमें उसने बनी उमय्या की तारीफ़ की और इमाम अली (अ) और उनके वंश के खिलाफ निन्दा की थी। इस पर इमाम सज्जाद ने तत्काल खड़े होकर उस ख़तीब की आलोचना की और अपने पैतृक वंश के फ़ज़ाइलों का वर्णन किया। उन्होंने छह विशेषताओं और सात फज़ीलतों का जिक्र करते हुए अपने और अपने वंश के धार्मिक और नैतिक गुणों का वर्णन किया और यज़ीद और उसके दरबारी योजना का पर्दाफाश किया।
इस खुतबे के बाद यज़ीद ने कर्बला के क़ैदीयो को शम में रखने को उचित नहीं समझा और उनके मदीना जाने का रास्ता तैयार किया। इस खुतबे ने सभा में भारी असर डाला, जिसमें लोगों के दिलों में जागरूकता, रोने और विरोध की आवाज़ें उठीं।
सबा में उपस्थित लोगों की प्रतिक्रिया
जब इमाम साज़िद (अ.स) ने ख़ुतबा दिया, तो मस्जिद में मौजूद लोग बहुत प्रभावित हुए। रियाद उल-कुद्स में लिखा है कि यज़ीद बिना नमाज़ पढ़े मस्जिद से बाहर चला गया, जिससे सभा में चलबढ़ हो गई और इमाम सज्जाद (अ) मिंबर से नीचे उतर आए। लोग इमाम के चारों ओर इकट्ठे हो गए और अपने व्यवहार के लिए सबने माफी मांगी।
कुछ शोधकर्ताओं के मुताबिक़, इमाम सज्जाद (अ) के ख़ुतबे के बाद विरोध शुरू हो गया; चिल्लाहट, रोना और सिसकियाँ सभा में फैल गईं और कई लोग खलीफ़ा ए मुस्लिमीन की इक़्तेदा किए बिना सभा छोड़ गए।
ख़ुतबे के बाद, वहाँ मौजूद एक यहूदी विद्वान ने यज़ीद पर गुस्सा जाहिर किया और कहा कि जिसने अपने पैग़म्बर की बेटी के बेटे को इस तरह शहीद किया, वह ज़ायम (खलीफ़ा) कैसे हो सकता है। उसने सभा में मौजूद लोगों को डाँटा कि "कसम से अगर हमारे पैग़म्बर मूसा बिन इमरान के यहाँ अगली पीढ़ी होती, तो हम उसे पूरी इज़्ज़त देते, शायद उसकी इबादत तक करते। आप लोग, जिनका पैगम्बर कल दुनिया से गया, आज उसके बेटे पर तलवार चलाते हैं? यह तुम्हारे लिए शर्मनाक है!"
स्रोतः
इरशाद शेख मुफ़ीद
नफ़्स अल महमूम मुहद्दिस क़ुमी
वीकी फ़िक़्ह
मनाक़िब इब्ने शहर आशोब
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