बुधवार 23 जुलाई 2025 - 11:55
ग़ज़्ज़ा में भयावह भुखमरी की स्थिति

हौज़ा / गज़्ज़ा पट्टी में इसराइली और मिस्री सख्त घेराबंदी के कारण एक गम्भीर मानवीय संकट पैदा हो गया है, जिसका सबसे बड़ा पहलू व्यापक भूख और खाद्य सामग्री की भारी कमी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार,  हाल के दिनों में ग़ज़्ज़ा के हालात की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं, जो इस क्षेत्र में अकाल, भूखमरी और कुपोषण के संकट को दर्शाती हैं।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और सहायता संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार, ग़ज़्ज़ा पट्टी जिसमें लगभग 20 लाख लोग रहते हैं, को रोजाना लगभग 600 ट्रकों की खाद्य सामग्री की जरूरत होती है। लेकिन हक़ीक़त में केवल 50 से 100 ट्रक ही अनियमित और बहुत कम मात्रा में वहां पहुंचते हैं। इस घेराबंदी के कारण फसलों, सामान और जरूरी चीजों का आवागमन इसराइल के कब्जे वाले इलाकों और मिस्र की सीमाओं से बहुत सीमित हो गया है, जिसके चलते कई परिवार कई दिनों तक भोजन नहीं पा रहे हैं और भूख की मुश्किल स्थिति में हैं।

खाद्य पदार्थ, ईंधन और पानी की भारी कमी ने हालात को बेहद कठिन बना दिया है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बच्चे और आम जनता बहुत ज्यादा भूखे हैं, कई मौतें भी भूख के कारण हो रही हैं। यूनिसेफ और अनरवा ने चेतावनी दी है कि कुपोषण की स्थिति अभूतपूर्व रूप से बढ़ गई है और अस्पताल भरे हुए हैं जहां भूखे मरीजों के लिए दवाइयां और बेड की कमी है। सामान और लोगों की कम आमदनी के कारण काले बाज़ार ने जन्म लिया है, जिससे बहुत से गरीब लोग खाद्य सामग्री खरीद पाने में असमर्थ हो गए हैं।

इस मानवीय संकट में, कार्यकर्ताओं ने तीन मुख्य कदमों पर ज़ोर दिया है:

  1. भरोसेमंद संस्थाओं जैसे "ईरान हमदिल" को वित्तीय सहायता देना ताकि आवश्यक वस्तुएं भेजने और ट्रकों की संख्या बढ़ाने में मदद मिल सके।

  2. ग़ज़्ज़ा के लोगों की मुसीबत दूर होने की फरियाद में दुआ और रोज़ा रख कर माअनवी सहायता देना।

  3. मीडिया और जन जागरूकता के ज़रिए इस संकट को भुलाए जाने से रोकना और पश्चिमी देशों और इज़राइल पर घेराबंदी खत्म करने के लिए दबाव बनाना।

साथ ही, अन्य इस्लामी देशों द्वारा शांति के जहाज़ भेजकर घेराबंदी तोड़ने की बात की गई है, लेकिन ईरान युद्ध की स्थिति के कारण ऐसा नहीं कर सकता। इस क्षेत्र के दूसरे देश इस काम में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।

अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी ज़रूरी बताया गया है ताकि बार-बार दर्दनाक तस्वीरें देखने से उत्पन्न चिंता और डिप्रेशन से बचा जा सके। दुआ और उम्मीद के साथ-साथ व्यावहारिक मदद में बने रहना जरूरी है।

यह भी याद दिलाया गया है कि यमन के संकट से गुजरते हुए अनुभव से सीख लेकर इस तरह की मुसीबतों को पार किया जा सकता है।

इस प्रकार, ग़ज़्ज़ा की भयावह स्थिति को देखते हुए, लोगों की मदद के लिए दिल से साथ देना और मिल-जुलकर आर्थिक, आध्यात्मिक और मीडिया के ज़रिए सहायक कदम उठाना सबसे प्रभावी रास्ता माना जाता है। ये कदम फंसे हुए लोगों की मदद करने और उनके तकलीफों को कम करने में बहुत अहम हैं।

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