बुधवार 30 जुलाई 2025 - 07:45
दुनिया मकसद नहीं, बल्कि आखिरत मकसद है। मौलाना सय्यद तहज़ीबुल हसन

हौज़ा / तंज़ीमुल मकातिब हिंदुस्तान के तहत कर्बला वालों का मातम के विषय पर 1 सफर से 18 सफर तक, बानी-ए-तंज़ीमुल मकातिब हॉल, गोला गंज में सोज मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , तंज़ीमुल मकातिब हिंदुस्तान के तहत कर्बला वालों का मातम के विषय पर 1 सफर से 18 सफर तक, बानी-ए-तंज़ीमुल मकातिब हॉल, गोला गंज में सोज मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया है। 

1 सफर की मजलिस-ए-अज़ा का आगाज़ मौलवी कैकब अली ने तिलावत-ए-कुरान से किया। मौलाना ग़ुलाम मेहदी मोलाई साहिब किब्ला (इंस्पेक्टर, तंज़ीमुल मकातिब) ने कर्बला वालों के हवाले से मंज़ूम नज़राना-ए-अक़ीदत पेश किया। वहीं जामिया इमामिया के दर्जा फ़ाज़िल के तालिब ए इल्म मौलवी बहादुर अली ने "कर्बला तजल्लीगाह-ए-शुऊर ओ बसीरत के मौज़ू पर बसारत और बसीरत के फ़र्क़ को स्पष्ट करते हुए इमाम अ.स. के इस कथन को पेश किया,

उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि अगर किसी के पास बसारत नहीं है, लेकिन बसीरत है, तो वह बिना है लेकिन अगर किसी के पास बसारत है और बसीरत नहीं है, तो वह अंधा है। 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सय्यद तहज़ीबुल हसन साहिब किब्ला ने मजलिस से खिताब करते हुए बयान किया कि अगर 28 रजब से 10 मुहर्रम तक के इतिहास का मुताला किया जाए तो पता चलेगा कि इमाम (अ.स.) ने दावत सबको दी, लेकिन पहुँचे वही जो साहिब-ए-बसीरत थे। 

उन्होंने बसीरत के हवाले से मौला अली अ.स.के कथन को पेश किया,जो दुनिया के ज़रिए देखेगा, दुनिया उसे बा-बसीरत बना देगी, और जो दुनिया की तरफ देखेगा, दुनिया उसे अंधा बना देगी। 

यानी जो दुनिया को आखिरत का ज़रिया बनाएगा, तो दुनिया उसे बा-बसीरत बना देगी। और जो दुनिया को अपना मकसद बनाएगा, दुनिया उसे अंधा कर देगी।

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