हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , गोला गंज हिंदुस्तान में इदारा-ए-तंज़ीमुल मकातिब के तहत दो रोज़ा जश्न-ए-विला और वेबिनार की दो निशिस्तें गुज़िशता रोज़ मुनअक़िद हुईं जिन में मुल्क-ए-हिंदुस्तान के मुमताज उलेमा-ए-किराम ने शिरकत की और तंज़ीमुल मकातिब के बानी मौलाना गुलाम अस्करी की इल्मी व दीनी खिदमात को खिराज-ए-अकीदत पेश किया।
इस मौके पर मौलाना काज़िम मेंहदी उरोज ने खिताब करते हुए कहा कि अगर इंसाफ से देखा जाए तो तंज़ीमुल मकातिब का काम पूरे हिंदुस्तान में सब से ज्यादा मुअस्सिर है। तंज़ीम के बानी दूसरों के लिए काम कर रहे थे, इसी इख्लास की बरकत से उनकी जुबान में असर था।
निशिस्त में मौलाना हैदर अब्बास ने कहा कि इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की विलादत के दिन तंज़ीमुल मकातिब की बुनियाद रखना इस बात की अलामत है कि इदारा ने तालीम व तरबियत के मिशन को इमाम अलैहिस्सलाम के नक्श-ए-कदम पर आगे बढ़ाया।
मौलाना मोहम्मद रज़ाई (जामिअतुल मुस्तफा अल-आलमिया) ने कहा कि इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की जिंदगी गम से शुरू हुई, मगर उन्होंने तालीम व तरबियत को तरजीह दी यही पैगाम आज तंज़ीमुल मकातिब आम कर रहा है।
मौलाना सरताज हैदर ने कहा कि मौलाना गुलाम असकरी (अलैहिर रहमा) ने अपनी पूरी जिंदगी इल्म-ए-दीन के फ़रोघ के लिए वक़्फ कर दी, हालांकि उनके दौर में उनसे बड़ा कोई खतीब नहीं था, मगर उन्होंने शोहरत के बजाए खिदमत को तरजीह दी।
प्रोग्राम में तंज़ीमुल मकातिब के सक्रेटरी मौलाना सय्यद सफी हैदर, तंज़ीमुल मकातिब के नाइब सदर मौलाना सय्यद सबीहुल हुसैन, तंज़ीमुल मकातिब के जॉइंट सक्रेटरी मौलाना सय्यद नकी असकरी, मौलाना सय्यद सफदर हुसैन और मौलाना सय्यद हुसैन जाफर वहब और सैयद एजाज़ हुसैन के साथ-साथ दूसरे उलेमा ने शिरकत की।
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