हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 10 अगस्त, 2025 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद जिले में चेहलुम के अवसर पर इमाम हुसैन (अ) और कर्बला के शहीदों की याद में एक जुलूस निकाला गया, जिसमें हज़ारों मातमी शामिल हुए।
यह जुलूस दोपहर 2:30 बजे मुख्य इमामबारगाह "हुसैनी घर" इस्लामनगर गली नंबर 8 से शुरू हुआ और विभिन्न मार्गों से होते हुए शाम को अपने निर्धारित स्थान पर शांतिपूर्वक समाप्त हुआ।
अज़ादारो ने काले कपड़े पहने थे और नौहा और मातम के साथ-साथ ज़ाकिरों ने इमाम हुसैन (अ) की कुर्बानी को याद करते हुए तकरीरें भी की। रास्ते में खाने-पीने के स्टॉल और लंगर की विशेष व्यवस्था की गई थी, जहाँ पानी, दूध, चाय, फल, बिरयानी और प्रसाद वितरित किया गया।
प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर रास्ते पर पुलिसकर्मी और स्वयंसेवक तैनात थे, जबकि आम नागरिकों को असुविधा न हो, इसके लिए यातायात को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया गया था।
अंजुमन हुसैनी ने साफ़-सफ़ाई, चिकित्सा सहायता और अनुशासन की व्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाई। जुलूस के साथ चिकित्सा दल मौजूद थे। इस्लामनगर से कर्बला, बुंझा, ग़ाज़ियाबाद तक राजमार्गों पर झंडे और बैनर लगाए गए थे और बड़ी संख्या में मातम मनाने वाले लोग जुलजिना की प्रतिमा के दर्शन करने और शोक व्यक्त करने आए थे। बुजुर्ग, युवा, महिलाएं और बच्चे सभी ने इस धार्मिक जुलूस में जोश और श्रद्धा के साथ भाग लिया।
मौलाना मुहम्मद आलम आरिफी ने इमाम हुसैन (अ) की सर्वमान्य स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि इमाम हुसैन सबके हैं। उन्होंने ये शेर पढ़े:
इस क़दर रोया मै सुनकर दास्ताने कर्बला
मैं तो हिंदू ही रहा, आँखें हुसैनी हो गईं
मस्जिदो, दैरो कीलिसा न कभी एक हुए
तेरे दरबार में पहुँचे तो सभी एक हुए
फिर उन्होंने कहा:
अमन व आमान सदाकत ईसार व सब्र व शुक्र
इन सबका नाम हस्बे ज़रूरत हुसैन हैं
ज़माना यह कब समझा था कि शबे आशूर से पहले
चिरागो के बुझाने से उजाला और होता है
मौलाना अली अब्बास हमीदी ने कहा कि जो रब का है वो सबका है। मौलाना हसन आज़मी हानी, मौलाना नाज़िश हुसैन और मौलाना एहसान अब्बास ने प्रेस प्रतिनिधियों को इमाम हुसैन (अ) की शिक्षाओं से अवगत कराया।
जुलूस के अंत में इमाम हुसैन (अ) के हक़ और सच्चाई के संदेश पर अमल करने की कामयाबी और देश में अमन-चैन की स्थापना के लिए दुआ की गई।
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