हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,बाराबंकी के आलमपुर में अंजुमन रौनक ए अजा के 72 ताबूत प्रोग्राम में मौलाना सैयद कल्बे रुशैद रिज़वी साहब ने अपने नायाब और असरदार अंदाज़ में मजलिस को खिताब किया।
यह मजलिस सिर्फ़ एक मजलिस नहीं थी, बल्कि एक पैग़ाम थी,अपनी कौम को तालीम, अक़्ल, और अमल से मज़बूत करने,समाज में फैली ग़लतियों को पहचान कर उन्हें सुधारने,इमाम हुसैन (अ.स.) के मिशन को आज की ज़िन्दगी में लागू करने पर ज़ोर दिया।
मौलाना कल्बे रुशैद रिज़वी साहब की बातें दिल को छू लेने वाली थीं। उनकी आवाज़ और उनके जुमले सीधे दिल पर असर डालते हैं और इंसान को सोचने पर मजबूर करते हैं कि असल हुसैनी पैग़ाम क्या है ,इंसाफ़, एकता,तालीम,और ज़ालिम के सामने डटकर खड़े होना।
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