हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ओचा की प्रतिनिधि ओल्गा चिरेकोव ने ग़ज़्ज़ा शहर में एक संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से चल रहे सामुदायिक रसोईघर का दौरा किया, जो बड़े पैमाने पर खाना तैयार करता है। उन्होंने बताया कि खाद्य सामग्री की कमी के कारण यह केंद्र बंद हो गया था लेकिन दस दिन पहले इसे फिर से खोला गया है। इस केंद्र से रोजाना पांच हज़ार लोगों को खाना मिलता है, जो बड़ी संख्या में लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है। केवल बड़े पैमाने पर खाद्य सहायता ही भूखमरी को टाल सकती है।
दो दिन पहले दक्षिणी ग़ज़्ज़ा के नस्र अस्पताल पर इस्राइल के दो हमलों में पांच पत्रकार और चार मेडिकल स्टाफ समेत 20 लोग मारे गए। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ग़ज़ा में लगभग पांच लाख लोग भूखमरी जैसे हालात का सामना कर रहे हैं, जिनके लिए उचित पोषण, चिकित्सा और जल सेवा उपलब्ध नहीं हो पा रही। स्वास्थ्य केंद्र और अन्य आवश्यक सेवाएं लगातार हमलों की वजह से बाधित हैं।
ग़ज़्ज़ा में भूखमरी संकट गहरा गया है और वहां के हालात अत्यंत गंभीर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अदनॉम घेब्रेयसस ने कहा है कि ग़ज़्ज़ा में भूख कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि इंसानी कार्रवाई का परिणाम है। गाजा में 20,000 से अधिक बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं और कई लोग भूख से मर चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ग़ज़्ज़ा की 21 लाख आबादी को बचाने के लिए हर दिन 500-600 ट्रकों के द्वारा भोजन, साफ पानी और दवाइयां पहुंचानी जरूरी हैं। हालांकि, इजराइल द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण खाद्य सामग्री की आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित है। मार्च 2025 तक लगभग 80 दिनों तक संयुक्त राष्ट्र की कोई भी सहायता सामग्री ग़ज़्ज़ा नहीं पहुंच पाई। यह संकट मानव निर्मित है और इसमें लगातार बढ़ती भूखमरी और कुपोषण के चलते बच्चों की मौतों में वृद्धि हो रही है।
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