सोमवार 5 मई 2025 - 16:39
ग़ाज़ा में 2 लाख 90 हज़ार बच्चे मौत के कगार पर

हौज़ा / इस्राइली सरकार की नाकाबंदी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आपराधिक चुप्पी के साए में, ग़ाज़ा के लगभग 2 लाख 90 हज़ार बच्चे भूख की वजह से मौत के बेहद करीब पहुँच चुके हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,इस्राइली सरकार की नाकाबंदी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आपराधिक चुप्पी के साए में, ग़ाज़ा के लगभग 2 लाख 90 हज़ार बच्चे भूख की वजह से मौत के बेहद करीब पहुँच चुके हैं।

ग़ाज़ा सरकार के मीडिया कार्यालय ने एक बयान में चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा पट्टी में पाँच साल से कम उम्र के 3,500 से ज़्यादा बच्चे भुखमरी और गंभीर कुपोषण के चलते मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं। अलजज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय लगभग 70,000 बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं और अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। इस्राइल की दो महीने से ज़्यादा समय से जारी पूर्ण नाकाबंदी ने मानवीय संकट को और भी भयावह बना दिया है।

बयान में आगे कहा गया,इस योजनाबद्ध घेराबंदी के परिणामस्वरूप 3,500 छोटे बच्चे भूख से मरने के करीब हैं, जबकि 2,90,000 बच्चे भी इसी संकट से दो-चार हैं।

ग़ाज़ा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा,जब 11 लाख बच्चों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए ज़रूरी भोजन भी उपलब्ध नहीं, उस समय इस्राइली क़ब्ज़ा करने वाली सरकार जानबूझकर भूख को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है, और वैश्विक ज़मीर इस अन्याय पर शर्मनाक चुप्पी साधे हुए है।

अंतरराष्ट्रीय राहत संगठनों का कहना है कि भोजन और दवाइयों की भारी कमी ने ग़ाज़ा को अकाल के कगार पर पहुँचा दिया है। इलाज और कुपोषण की रोकथाम के लिए ज़रूरी संसाधन समाप्त हो रहे हैं और बच्चों में कुपोषण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ग़ाज़ा के 80 प्रतिशत से अधिक लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं, लेकिन नाकाबंदी के चलते बाजारों में जो थोड़ी बहुत खाद्य सामग्री उपलब्ध है, उसकी कीमतें इतनी ज़्यादा हैं कि आम लोग उसे खरीद नहीं सकते।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस्राइल द्वारा युद्धविराम के उल्लंघन और फिर से शुरू हुए हमलों के बाद अब तक भूख के कारण कम से कम 57 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं। इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश तो जताया गया, लेकिन इस्राइल को 23 लाख की आबादी वाले इस घिरे हुए क्षेत्र में राहत पहुँचाने की अनुमति देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सका।

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