सोमवार 1 सितंबर 2025 - 13:32
इमाम हसन अस्करी अ.स. ने इस्लाम की तरवीज के लिए बहुत संघर्ष किया

हौज़ा / आलमा सैयद साजिद अली नकवी ने कहा, इमाम अ.स. की महानता का एक पहलू यह भी है कि पूरी दुनिया जिस मसीहा की प्रतीक्षा कर रही है, वह उन्हीं के पवित्र पुत्र हज़रत इमाम मेंहदी अ.ज. हैं। इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की सीरत पर चलकर मानवता को समस्याओं से मुक्त कराएं और न्याय पर आधारित समाज का निर्माण करें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , क़ायदे मिलत जाफरिया पाकिस्तान आलमा सैयद साजिद अली नकवी ने 8 रबीउल अव्वल इमाम हसन अस्करी अ.स.के शहादत दिवस पर अपने संदेश में कहा, हसन इब्ने अली, अबू मुहम्मद कुनीयत और अस्करी की उपाधि पाने वाले ग्यारहवें इमाम ने अत्यंत कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने पिता हज़रत इमाम अली नकी (अ.स.) की शहादत के बाद मंसबे इमामत संभाला।

सुन्नत और सीरते रसूल अकरम स.अ.व. और अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ.स.) सहित अपने पूर्वजों से विरासत में मिले ज्ञान, दर्जे, मर्तबे, रूहानियत और अमल के जरिए अपने समय के आम इंसान, आम मुसलमान और हुक्मरानों को रूश्द और हिदायत प्रदान की। जिसके प्रभाव उनके दौर में उनके समाज और माहौल में स्पष्ट रूप से देखे गए और लोगों की बड़ी संख्या सच्चाई की तरफ मुतवज्जह हुई।

आलमा साजिद नकवी ने कहा, मात्र 28 साल की उम्र में दर्जे शहादत पर फाइज होने वाले इमाम हसन अल-अस्करी (अ.स.) ने अपनी छोटी सी जिंदगी में भी दीन के प्रसार और प्रचार और हकीकी तालीमात के फ़रोग के लिए बेपनाह जद्दोजहद की और इस रास्ते में उस समय के हुक्मरानों के जुल्म व सितम और कैद व बंद की सुब्बतें बर्दाश्त करते हुए मुख्लिसीन के जरिए पैगामे सदाकत अवाम तक पहुंचाया।

उन्होंने आगे कहा, फितरी तकाजा है कि जब भी मुश्किलात घेर लेती हैं और किसी के साथ जुल्म व ज्यादती की इंतिहा होती है, इंसानी समाजों में नाइंसाफी, बे-इंसाफी, तशद्दुद और बुराइयों का रिवाज होता है तो वह एक मसीहा के मुंतजिर होते हैं कि जो उन्हें मुश्किलात से निकाले।

जुल्म का खात्मा करके समाज को बुराइयों से पाक करे, एक परामन, सालेह और नेकी पर मबनी समाज कायम करे। चुनांचे हज़रत इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की महानता का एक पहलू यह भी है कि पूरी कायनात जिस मसीहा की प्रतीक्षा कर रही है वह उन्हीं के बेटे हज़रत इमाम महदी अजल हैं।

क़ायदे मिलत जाफरिया पाकिस्तान ने कहा, दौरे हाजिर में दुनियाये इंसानियत को आम तौर पर और आलमे इस्लाम को खास तौर पर जिन बुहरानों और चुनौतियों का सामना है और इंसानी समाज जिस गिरावट का शिकार हो चुके हैं, उनमें इंसानों को हिदायत और रूहानियत की जरूरत है।जो उन्हें हज़रत इमाम हसन अल-अस्करी (अ.स.) की सीरत का मुताला करके और उस पर अमल करके हासिल हो सकती है।

इसलिए हमें चाहिए कि हम उनकी सीरत पर अमल करके इंसानियत को मसाइल से निजात दिलाएं और हकीकी इस्लामी व जम्हूरी सिस्टम राइज करके इंसाफ व न्याय से मुज़य्यन समाज का तशक्कुल करें और अपना इन्फिरादी व इज्तिमाई करदार अदा करें।

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