सोमवार 8 सितंबर 2025 - 15:37
हलाल रोज़ी बच्चों को हक़ पज़ीर बनाती हैः सययद अली रज़ा तराशीयून

हौज़ा / हरम ए हज़रत फातेमा मासूमा स.ल. में ख़िताब करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सययद अली रज़ा तराशीयून ने कहा कि हराम माल का दाख़िल होना ज़िंदगी को तबाही में मुब्तिला कर देता है, जबकि हलाल रोज़ी न सिर्फ़ इंसान की ज़िंदगी में बरकत डालती है बल्कि औलाद को भी हक़ क़बूल करने वाला बनाती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हरम ए हज़रत फातेमा मासूमा स.ल. में ख़िताब करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सय्यद अली रज़ा तराशीयून ने कहा, कि हराम माल का दाख़िल होना ज़िंदगी को तबाही में मुब्तिला कर देता है, जबकि हलाल रोज़ी न सिर्फ़ इंसान की ज़िंदगी में बरकत डालती है बल्कि औलाद को भी हक़ कबूल करने वाला बनाती है।

उन्होंने कहा कि इस्लाम ने बार-बार अहले ख़ाना की तरबीयत पर जोर दिया है और कुछ बुनियादी अंसूर इंसान की ज़िंदगी को या तो कामयाब बनाते हैं या नाकाम। इन अंसूरों में ख़ुदा से तआल्लुक, झूठ से परहेज़, हलाल रोज़ी और अन्य दीनी मामले शामिल हैं।

ख़तीब हरम हज़रत मासूमा (स) ने नमाज़ की अहमियत बयान करते हुए कहा कि घरों में नमाज़ की बे-तवज्जुही ज़िंदगियों को मुश्किलात से दो चार कर देती है। उन्होंने हज़रत फातिमा ज़हेरा सलाम अल्लाहु अलैहा का फ़रमान नक़ल किया कि बे नमाज़ी फ़रद दुनिया में नौ मसीबतों और मौत के वक़्त छ बड़ी बलाओं में मुब्तिला होता हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सय्यद अली रज़ा तराशीयून ने आगे कहा कि माजाज़ी दुनिया और सोशल मीडिया के मंफ़ी असरात तेज़ी से ख़ानदानी निज़ाम को कमज़ोर कर रहे हैं। उनके कौल सोशल मीडिया की फितरत सर्द है और जितना हम सोशल मीडिया को ज़िंदगी से दूर रखेंगें, मियां बीवी के ताल्लुकात उतने मज़बूत होंगे।

उन्होंने वाज़िह किया कि सोशल मीडिया इंसान को कंट्रोल न करे बल्कि इंसान को मीडिया पर क़ाबू पाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि घरानों में काग़ज़ी किताबों के मुतालिए को ज़्यादा अहमियत दी जाए क्योंकि मोबाइल और सोशल मीडिया से हासिल होने वाला मुतालिया पायदाद असरात नहीं रखता।

यूरोप की मिसाल देते हुए उन्होंने बताया कि कई मुल्कों ने हालिया बरसों में अपने स्कूलों को दुबारा "गैर स्मार्ट" बना दिया है क्योंकि स्मार्ट औज़ार इंसानी fitrat से हमआहंग नहीं और नुक़सानदेह साब‍ित हुए हैं।

उन्होंने मियां बीवी के बाहमी अहद-व-वफ़ा को ख़ानदान के इस्तिहकाम की बुनियाद करार दिया और कहा कि शादी का मकसद ऐसा रिश्ता है जिसे सिर्फ़ मौत अलग कर सके।

झूठ की मज़ममत करते हुए उन्होंने इमाम सादिक अलैहि सलाम का फ़रमान याद दिलाया कि तमाम बुराइयाँ एक घर में जमा हैं और उसका दरवाज़ा झूठ है। इसी तरह अमीरुल मुमिनीन अलैहि सलाम का क़ौल नक़ल किया कि नजात और कामयाबी सच्चाई में है।

अपनी गुफ्तगू के इख़्तिताम पर उन्होंने कहा कि उलमा-ए-कराम ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि इंसान को खाने वाले हर लम्हे में एहतियात बरतनी चाहिए क्योंकि हराम लम्हा इंसान की ज़िंदगी पर तलवार के वार से ज़्यादा असर डालता है, जबकि हलाल लुकमा औलाद को हक़ शनास और हक़ पज़ीर बनाती है।

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