हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सईद हुसैनी ने काशान के संगक वाले नानबाइयों के प्रतिनिधियों से शहर के हुसैनिया अली अकबर में मुलाकात के दौरान कहा कि नानबाई हलाल रोटी कमाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हलाल रोटी इतनी महत्वपूर्ण है कि अल्लाह ने पैगंबर से फरमाया कि इबादत के दस हिस्से हैं, जिनमें से नौ हिस्से हलाल रोज़ी कमाने के हैं।
वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि ने आगे कहा कि अगर इंसान की ज़िंदगी में एक रियाल भी हराम (अवैध) की कमाई शामिल हो जाए, तो क़यामत के दिन 700 रकात नमाज़ें क़बूल नहीं होंगी, जब तक कि दूसरा पक्ष (जिसका हक़ मारा गया हो) राजी न हो जाए। इसलिए हर पेशे में दूसरों के अधिकार का पालन करना ज़रूरी है और यह लोगों की रज़ामंदी पर निर्भर है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैनी ने नानबाइयों को हलाल रोज़ी कमाने में सावधानी बरतने पर ज़ोर दिया और कहा कि एक ही बैंक कार्ड से बार-बार नान खरीदना दूसरों के अधिकार का उल्लंघन है और क़यामत के दिन नानबाई को ग्राहक की रज़ामंदी हासिल करनी होगी।
काशान के इमाम जुमआ ने कहा कि हर व्यक्ति और हर पेशे व स्थान पर दूसरों के अधिकार का पालन करने के लिए दूसरे पक्ष की रज़ामंदी ज़रूरी है, इसलिए हलाल रोज़ी दूसरों के अधिकार के पालन पर निर्भर है।
उन्होंने आटे और रोटी के क्षेत्र में मतभेदों का ज़िक्र करते हुए कहा कि नानबाइयों का मानना है कि लागत मूल्य और ग्राहकों से ली गई रकम में अंतर है और आय-व्यय मेल नहीं खाता। उन्होंने कहा कि काशान के नानबाइयों के प्रतिनिधियों को समस्याओं के समाधान के लिए नियुक्त किया जाए और समस्याओं को सूचीबद्ध करके उनकी जांच और पैरवी की जाए।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैनी ने ज़ोर देकर कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए कुछ नानबाइयों को प्रतिनिधि बनाकर रोटी पकाने की लागत की गणना और जांच करनी चाहिए कि क्या निर्धारित मूल्य लागत के अनुरूप है या नहीं। अगर यह मेल नहीं खाता, तो इस मुद्दे को प्रांतीय अधिकारियों सहित उच्च अधिकारियों के सामने दस्तावेज़ीकृत करके पेश किया जाए और उचित समाधान किया जाए।
उन्होने कहा कि जब नानबाइयों के प्रतिनिधि नतीजे पर पहुंच जाएं, तो तज़ीरात (दंड विभाग) के प्रमुख के साथ बातचीत करके नानबाइयों के लिए दंड को कम करने या समाप्त करने का कानूनी रास्ता निकाला जाए और आवश्यक कार्रवाई की जाए।
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